पवित्र कुरआन पढ़ना, देखना और छूना भी पुण्य

 

 

- नंगलाराई खेड़ा में घर पर तरावीह पढ़ पूरा किया पवित्र कुरआन

 

- कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए मांगी गई विशेष दुआएं

 

कैराना। लाॅकडाउन के चलते पवित्र रमजान में अकीदतमंद अपने घरों पर इबादत में जुटे हैं। गांव नंगलाराई खेड़ा में अपने घर पर विशेष नमाज़ तरावीह के दौरान हाफिज़ सुहैब कासमी ने पवित्र कुरआन मुकम्मल किया है। इस अवसर पर सोशल डिस्टेंसिंग पालन करते हुए कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए भी विशेष दुआएं कराई गई।

   पवित्र रमजान-उल-मुबारक में मुसलमान कसरत के साथ इबादत करते हैं। इस बार लाॅकडाउन के चलते धर्मस्थलों के बजाय घरों में इबादत की जा रही है। विशेष नमाज़ तरावीह भी घरों में पढ़ रहे हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है। क्षेत्र के गांव नंगलाराई खेड़ा में मौलाना मुरसलीन अहमद के आवास पर उनके बेटे हाफिज़ सुहैब कासमी ने सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ ही नमाज तरावीह के दौरान पवित्र कुरआन मुकम्मल किया। तरावीह में हाफिज़ सालिम अंसारी ने सामै यानि कि सुनने वाले की भूमिका निभाई। 

    इस अवसर पर मौलाना सलीम कासमी ने हदीस शरीफ के हवाले से कहा कि हाफिज़-ए-कुरआन की जिंदगी से रिज्क की तंगी हटा दी जाती है। हाफिज़ का रूतबा इतना बड़ा है कि कयामत के दिन उसके माता-पिता को सूरज से भी ज्यादा चमकदार ताज से नवाजा जाएगा तथा खुद भी कुरआनी आयात की तिलावत के सापेक्ष जन्नत के दर्जे दिए जाएंगे।

      उन्होंने कहा कि कुरआन ऐसी पवित्र किताब है, जिसके पढ़ने, देखने और छूने पर भी सवाब/पुण्य मिलता है। उन्होंने कहा कि माह मुबारक की बरकत से वैश्विक महामारी कोरोना से मुक्ति के लिए अधिक से अधिक इबादत करें तथा अल्लाह को राजी करें। इस अवसर पर कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए विशेेष दुआएं कराई गई।

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