दारुल उलूम में जुटे 4500 मदरसा संचालक

👉 मौलाना अरशद मदनी बोले- हमें बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकारी दान नहीं चाहिए, गुलाम नहीं बनना चाहते 
देवबंद (सहारनपुर)। उत्तर प्रदेश में मदरसों के सर्वे के बाद पहली बार मदरसा संचालकों का सम्मेलन आयोजित हुआ। दारुल उलूम देवबंद की रशीदिया मस्जिद में देशभर से लगभग 4500 मदरसा संचालक पहुंचे। जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि, "सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वे कराया गया है, जो उनका अधिकार है। लेकिन, मदरसा चलाने के लिए हमें किसी भी दान और सहयोग की जरूरत नहीं है। अपने बच्चों को हम गुलाम नहीं बनाना चाहते। इसीलिए हम किसी भी सरकारी मदद से गुरेज नहीं रखते हैं। यदि हम सरकारी मदद लेंगे तो हमारे ऊपर सरकार के नियम थोपे जाएंगे। संचालकों को मदरसे में किस प्रकार से बच्चों को तालीम दी जाए और आधुनिक शिक्षा पर चर्चा पर बल दिया गया।
       बता दें कि दारुल उलूम देशभर में मदरसों का सबसे बड़ा संगठन है। इससे 4500 मदरसे जुड़े हैं। 2100 मदरसे उत्तर प्रदेश में हैं। 
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मजलिस-ए-शूरा की बैठक में लिया था निर्णय
12 से 13 सितंबर को दारुल उलूम की सुप्रीम पावर मजलिस-ए-शूरा की तीन दिवसीय बैठक हुई थी। इसमें कुल हिंद राब्ता-ए-मदारिस-ए-इस्लामिया का इजलास यानी सम्मेलन बुलाए जाने का निर्णय लिया गया था। दारुल उलूम ने 27 अक्टूबर को बाकायदा दारुल उलूम से जुड़े सभी मदरसों के लिए लेटर जारी किया था। लेटर में बताया कि दारुल उलूम देवबंद में आगामी 30 अक्टूबर को कुल हिंद राब्ता-ए-मदारिस-ए-इस्लामिया का सम्मेलन किया जाएगा। सभी मदरसा संचालकों को जरूर पहुंचना होगा।
 29 अक्टूबर को कुल हिंद राब्ता-ए-मदारिस-ए-इस्लामिया की वर्किंग कमेटी की बैठक दारुल उलूम देवबंद में हुई थी। इसमें 30 अक्टूबर को मदरसों के संचालन की चर्चा के लिए हुई इकट्ठा होने का आह्वान किया गया था
  सम्मेलन में मदरसों की समस्याओं के समाधान पर चर्चा की जाएगी। साथ ही शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और अन्य मसलों पर चर्चा कर के निर्णय लिए जाएंगे। वर्किंग कमेटी में 50 सदस्य कुल हिंद राब्ता -ए-मदारिस-ए-इस्लामिया दारुल उलूम देवबंद से देशभर के करीब 4500 मदरसे जुड़े हैं। कुल हिंद राब्ता - ए -मदारिस-ए-इस्लामिया की वर्किंग कमेटी में कुल 50 सदस्य हैं। 
    दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने बताया कि मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और मदरसों के निजाम को ठीक रखना, उनकी समस्याओं का समाधान करना दारुल उलूम देवबंद का बुनियादी मकसद है। इन्हीं सब मुद्दों पर आज विशेष चर्चा की गई।