भजन करने से होती है मन की शुद्धिःब्रह्म स्वरूपानंद


- सुंदर भजनों के साथ हुवे प्रवचन
- श्रीमद देवी भागवत महापुराण कथा यज्ञ के तीसरे दिन महाराज ने किए प्रवचन
-  आश्रम में आगामी रविवार को होगा 39 वे विशाल भंडारे का आयोजन
कैराना। मानव चेतना केंद्र आश्रम में चल रही श्रीमद देवी भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद महाराज ने देवी भागवत महापुराण में बताया कि जिसके संतान नही होती उसकी मुक्ति नही हो सकती। मोक्ष को तपस्या व भक्ति से प्राप्त किया जा सकता हैं। भगवान का भजन करने से मनुष्य के मन की शुद्धि हो जाती है। 
        रविवार को कैराना क्षेत्र के ऊंचागांव में स्थित मानव चेतना केंद्र आश्रम में चल रही श्रीमद देवी भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ एवं शतचंडी महायज्ञ के तीसरे दिन स्वामी विशुद्धानंद महाराज जी के परम शिष्य स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद महाराज ने देवी भागवत महापुराण में बताया कि जब मनुष्य को अपनी कमी अपने अवगुण दिखाई देने लगे, तो समझ लीजिए प्रभु की कृपा शुरू हो गयी है। किसी से कोई आशा करना सबसे बड़ा दुख है। जिसका सहयोग होता है उसका वियोग भी जरूर होता है। सुखदेव कहते है मेने तपस्या की में संसार के रग में रंगने वाला नही हु। संसार मे सुख नही है केवल दिखाई देता हैं। यह संसार केवल दुखो से घिरा हुआ है। सुख हमे दिखाई देता है लेकिन है नहीं।
            महाराज ने बताया कि जिसका सहयोग हुआ है उसका वियोग जरूर होगा। ये मनुष्य का भृम है। जो मनुष्य संसार को सब कुछ समझता है ऐसा मनुष्य पशु के समान है। जीवन की ये नाव भव सागर से पार लगाने के लिए है। संसार से प्रीत करने के लिए नही हैं। संसार से कुछ निकलने वाला नही है। असली दिखाई देता है लेकिन सब नकली है। यदि संसार मे कुछ असली है तो वह भगवान का नाम है। जो मनुष्य इस संसार मे भगवान से प्रीत रखता है उसको मोक्ष प्राप्त हो जाता है वह मनुष्य जन्म मरण से रहित हो जाता है। ज्ञानी महापुरुष संसार से मोह नही करते, अज्ञानी मनुष्य मोह-माया के जाल में फंसकर संसार से मोह कर बैठते है।  जिस मनुष्य के दिल मे प्रभु का नाम नही वह इंसान पशु के सामान है। काम, क्रोध, मोह, लोभ व अहंकार गुरु के चरणों मे ही मिट सकता है। सुखदेव जी अपने पिता के सामने रो रहे है। कि मुझे ऐसे गुरु से मिला दीजिए जिससे में भगवान में मिल जाउ, में अपने मन के मेल को खत्म करना चाहता हु। भजन करने से मन की शुद्धि होती है, दान करने से धन शुद्ध होता है। 
        वैराग्य मनुष्य के मन को संसार से हटा देता है। मन को अगर वश में करना है तो वैराग्य व अभ्यास कीजिये। वैराग्य से मन हट जाता है ओर अभ्यास से मन लग जाता हैं। व्यास जी कहते है! घर बन्धन नही है। बंधन का कारण हमारा मोह है। यदि मनुष्य दुखी है तो उसका कारण हमारा मोह है। संसार मे यदि दुख है तो ये हमारा मोह है। जहां मनुष्य को मोह होता है उसका मन भी वही रहता है।
        उधर, सुंदर भजनों के साथ कथा का समापन किया गया। इस दौरान नगर व क्षेत्र के सेकड़ो श्रद्धालुगन मौजूद रहे। वही, कथा में महाराज ने बताया कि आगामी रविवार को आश्रम में 39 वे विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाएगा।

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