किराना घराना का बाशिंदा उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से होगा सम्मानित
👉 सारंगी वादक के लिए किया जाएगा सम्मानित
👉 कैराना में हैं पुश्तैनी मकान
कैराना। किराना घराना भारतीय शास्त्रीय संगीत की गायन परंपरा का एक प्रसिद्ध घराना हैं। किराना घराना की तीसरी पीढ़ी के बाशिंदे को सारंगी वादक के लिए संगीत नाटक एकेडमी दिल्ली की ओर से उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए चयनित किया गया हैं।
देश विदेश में भारतीय शास्त्रीय संगीत की गायन के लिए प्रसिद्ध किराना घराना के प्रतिनिधि गायक अब्दुल करीम खां व उस्ताद अब्दुल वहीद खां साहब को इस घराने का संस्थापक कहा जाता हैं। किराना घराने का नामकरण कस्बा कैराना (किराना) से हुआ हैं। यह स्थान उस्ताद अब्दुल करीम खां का जन्म स्थान हैं। किराना घराना से जुड़े उस्ताद महमूद खां का परिवार मौजूदा समय में कैराना नगर के मोहल्ला आलकला में रहता हैं। उस्ताद महमूद खां का एक बेटा उस्ताद आसिफ अली था। मरहूम उस्ताद आसिफ अली का इकलौता बेटा अहसान अली कुछ साल पहले कैराना छोड़कर दिल्ली के लक्ष्मी नगर में जाकर रहने लगा था। सोमवार को कैराना पहुंचे आसिफ अली ने बताया कि वह दिल्ली में म्यूजिक डायरेक्टर हैं और सारंगी वादक बजाने का काम करता हैं। उसने 10 साल की उम्र में ही अपने दादा उस्ताद महमूद खां व पिता उस्ताद आसिफ अली खां से सारंगी वादक सीख लिया था। दिल्ली में रहते हुए वह ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के ओपेरा हाउस, लंदन ओलंपिक, अमेरिका व पेरिस आदि देशों में जा चुका हैं। हाल ही में संगीत नाटक एकेडमी दिल्ली की ओर से सारंगी वादक के लिए उसे उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए चयनित किया गया हैं। यह अवार्ड उसे 2021 के लिए दिया जाना हैं।
👉 पिता दिल्ली आकाशवाणी में करते थे नौकरी 
सारंगी वादक एवं किराना घराना की तीसरी पीढ़ी के बाशिंदे अहसान अली ने बताया कि 2008 में उसके पिता उस्ताद आसिफ अली दिल्ली आकाशवाणी में सरकारी नौकरी करते थे। 2017 में उसके पिता की मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद उसने अपने पारिवारिक संगीत घराने सारंगी वादक को पूरी तरह अपना लिया था।
👉 सारंगी वादक से रचनात्मक क्षमता का पता चलता हैं
सारंगी वादक के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार के लिए चयनित हो हुए किराना घराना के बाशिंदे अहसान अली ने बताया कि सारंगी वादक से रचनात्मक क्षमता अथवा चयनशीलता का पता चलता हैं। किसी राग को विलंबित बढ़ंत में उन्हीं स्वरों को विलक्षण उलट-पुलट कर किया जाता हैं। उस राग की व्याख्या हो जाती हैं। किसी विशेष शब्द के सहारे जब किसी राग का धीरे-धीरे अलाप करते हैं तो उसमें बड़ा इत्मीनान मिलता हैं।

👉 कैराना में रहती हैं चाची व चचेरा भाई
कैराना नगर के मोहल्ला आलकला में किराना घराना से जुड़े लोगों का सैकड़ों वर्ष पुराना मकान मौजूद हैं। जहां पर सारंगी वादक एवं किराना घराना से जुड़े आसिफ अली की चाची व चचेरा भाई तथा अन्य परिवार के लोग आज भी रहते हैं।
👉 कैराना के नामचीन पहलवान से हैं बचपन की दोस्ती
वर्षों पहले कैराना की गलियों में पले बड़े सारंगी वादक अहसान अली का आज भी कैराना से पूरी तरह लगाव हैं। समय-समय पर अहसान अली कैराना पहुंचते हैं। सोमवार को भी वह कैराना पहुंचे और मोहल्ला आलकला निवासी नामचीन पहलवान सुफियान से मुलाकात की। अहसान अली ने बताया कि सुफियान पहलवान उसके बचपन का दोस्त हैं और दोनों आज भी जिगरी दोस्त हैं।