कैराना (शामली)। दस मुहर्रम (यौम—ए—आशूरा) के मौके पर शिया समाज के सोगवारों ने हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के 72 जानिसारों को पूरे जोश एवं श्रद्धा के साथ याद किया। सोगवारों ने ताजियों, अलम और जुलजनाह के भव्य जुलूस निकाले। इस दौरान छुरियों, ब्लेडों व जंजीरों से सीनाजनी करते हुए खूनी मातम किया। या हुसैन की सदाएं भी गूंजती रही।
रविवार को दस मुहर्रम के मौके पर नगर के मोहल्ला अंसारियान में स्थित बड़ी इमाम बारगाह में मजलिस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वसी हैदर साकी व हमनवां ने मर्सियाख्वानी की। मौलाना अलीम अख्तर गदीरी ने मजलिस को संबोधित करते हुए हजरत इमाम हुसैन की शहादत पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए खिराज—ए—अकीदत पेश किया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने न केवल दीन—ए—इस्लाम की रक्षा की, बल्कि अपनी कुर्बानी से मानवता के मूल्यों को अमर कर दिया। वहीं, छोटी इमाम बारगाह में भी मजलिस का आयोजन हुआ, जहां सैय्यद अली हैदर व हमनवां ने मर्सिया पढ़ा। यहां मौलाना आमिर काजमी ने अपने संबोधन में कर्बला की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने यजीद की तानाशाही और अन्याय के खिलाफ डटकर मुकाबला किया। उनकी शहादत ने यह सिखाया कि सत्य और न्याय के लिए हर कुर्बानी छोटी है। मौलाना ने इस बात पर जोर दिया कि इमाम हुसैन का बलिदान आज भी लोगों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा देता है।
वहीं, इमाम बारगाह खुर्द से ताजिया, अलम और जुलजनाह का भव्य जुलूस निकाला गया। यह जुलूस मातमदारों के साथ सिदरयान होते हुए बड़ी इमाम बारगाह के चौक के निकट ढाल पर जुलूस में आया, तो शिया सोगवारों ने गहरी श्रद्धा और जोश के साथ ब्लेडों, छुरियों और जंजीरों से सीनाजनी शुरू कर दी। इस दौरान या हुसैन की सदाएं गूंज रही थी। यह खूनी मातम इमाम हुसैन और उनके साथियों की कर्बला में दी गई कुर्बानी को याद करने का एक मार्मिक तरीका था। मातम के दौरान सोगवारों की आंखों में आंसू और दिलों में इमाम के लिए बेपनाह मोहब्बत साफ झलक रही थी।
उधर, मोहल्ला आलकला में रजा अली खां के अजाखाने से दूसरा विशाल जुलूस निकाला गया। यह जुलूस नगर के मुख्य मार्ग से होता हुआ बस स्टैंड के सामने से गुजरा और अंत में पब्लिक इंटर कॉलेज के सामने स्थित पूर्व जगदीश प्रसाद महाविद्यालय कर्बला में जाकर संपन्न हुआ। जुलूस में कौसर अली जैदी, कुर्रत मेहंदी, गुलजार अली, यावर अली, फैसल अली और मोहम्मद आगाज ने नोहाख्वानी की। जबकि रजा अली खां ने जुलूस की अगुवाई की।
इस मौके पर डॉ. फरहत हुसैन, काजिम हुसैन, शारिब अली, सदाकत हुसैन, बुंदन हुसैन, शाह रजा जैदी, अतहर हुसैन, जावेद रजा, अजहर हुसैन, अली अब्बास, सरवर हुसैन, जामिन अली, मोहम्मद जाफर आदि मौजूद रहे। दूसरी ओर, नगर पालिका परिषद कैराना प्रशासन द्वारा मुहर्रम के ताजिया जुलूस मार्ग पर विशेष साफ सफाई की व्यवस्था कराई गई तथा सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहे।
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