उत्तर प्रदेश के मदरसों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को किया रद्द, उत्तर प्रदेश बोर्ड के तहत पढ़ेंगे अब मदरसे के छात्र, हाईकोर्ट ने योगी सरकार को दिए निर्देश

👉 उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन एक्ट 'असंवैधानिक', हाईकोर्ट ने बताया वहां पढ़ने वाले छात्रों का क्या करना है? देखें कोर्ट ऑर्डर 

👉 उत्तर प्रदेश बोर्ड के तहत पढ़ेंगे अब मदरसे के छात्र, हाईकोर्ट ने एजुकेशन एक्ट को असंवैधानिक बता कर योगी सरकार को दिए निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मदरसा एजुकेशन एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। साथ ही योगी सरकार को दिए निर्देश है कि उत्तर प्रदेश बोर्ड के तरह मदरसे के छात्रों को समायोजित किया जाए।
   उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश बोर्ड आफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा यह एक्ट धर्म निरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है। साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को उत्तर प्रदेश बोर्ड के तहत बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में शामिल किया जाए। जानकारी दे दें कि अंशुमान सिंह राठौड़ ने इस संबंध में एक याचिका दायर की थी। 
👉 मदरसा एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आगे कहा कि हम मानते हैं कि मदरसा अधिनियम, 2004, धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो भारत के संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है, साथ ही अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए और भारत के संविधान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 की धारा 22 का उल्लंघन है। ऐसे में मदरसा एक्ट, 2004 को असंवैधानिक घोषित किया जाता है।
👉 उत्तर प्रदेश बोर्ड के तहत मदरसा छात्रों को करें समायोजित
हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा कि यूपी राज्य में बड़ी संख्या में मदरसे और मदरसे के छात्र हैं, इसलिए राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह इन मदरसा छात्रों को प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के तहत मान्यता प्राप्त नियमित स्कूलों और हाई स्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड के तहत मान्यता प्राप्त स्कूलों में समायोजित करने के लिए तुरंत कदम उठाए। साथ ही राज्य सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त संख्या में अतिरिक्त सीटें बनाई जाएं और यदि आवश्यक हो तो पर्याप्त संख्या में नए स्कूल स्थापित किए जाएं। कोशिश करें कि 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे राज्य की मान्यता प्राप्त संस्थानों में एडमिशन के बिना न रहें।
👉 योगी सरकार से की अपील
वहीं, उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड पर हाईकोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी शिया धर्मगुरु हज़रत मौलाना यासूब अब्बास का बयान जारी कर कहा कि योगी सरकार से अपील की क़ानून बनाकर मदरसा बोर्ड को ज़िंदा करें।
👉 उत्तर प्रदेश के मदरसों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को किया रद्द
हाल ही में अंशुमान सिंह राठौर समेत कई लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को चुनौती दी थी।
      उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा से जुडी इस वक़्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर है कि शनिवार यानी 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को रद्द करते हुए असंवैधानिक करार दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है। इसके साथ ही अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस वक़्त मदरसों में पढ़ रहे छात्रों की शिक्षा के लिए योजना बनाने का निर्देश देते हुए छात्रों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में समायोजित करने का आदेश भी दिया है।
          दरअसल, हाल ही में इस मामले पर अंशुमान सिंह राठौर समेत कई लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 और उनकी शक्तियों को चुनौती दी थी। इन याचिकाकर्ताओं के तरफ से दायर की गई याचिका में मदरसों के मैनेजमेंट को लेकर भारत सरकार, राज्य सरकार और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा आपत्ति जताई है। आज इसी मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की डिवीजन बेंच ने यह आदेश सुनाया है।
👉 क्या है उत्तर प्रदेश बोर्ड मदरसा एक्ट 2004 कानून
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 कानून राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था. जिसके तहत, मदरसों को बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ न्यूनतम मानकों को पूरा करना की आवश्यकता थी। यह कानून बोर्ड मदरसों को पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री, और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी दिशा निर्देश प्रदान करता था।
ऐसे में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट डबल बेंच के इस फैसले के बाद सभी अनुदानित मदरसों की फंडिंग यानी सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता राशि बंद हो जाएगी और अनुदानित मदरसे भी खत्म हो जाएंगे। 
        गौरतलब है कि हाल ही में हुए जांच में खुलासा हुआ था कि सरकार के तरफ से दिए गए फंडिंग से मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी। साथ ही इन मदरसों को विदेशी फंडिंग मिलने की भी कई शिकायतें प्राप्त हुई थी। कोर्ट ने इसे धर्मनिरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांतों के विपरीत करार दिया है। 
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