कांवड़ यात्रा के दौरान भी दर्द दे रहा कैराना का मीट प्लांट
- मीट प्लांट से उठती दुर्गंध से फूल रही सांसें, सरकारी मशीनरी नहीं दे रही ध्यान

कैराना। कांवड़ यात्रा के दौरान मीट की दुकान खोलने पर प्रतिबंध है, बावजूद इसके कैराना का मीट प्लांट बंद नहीं हुआ है। घनी आबादी के बीच संचालित मीट प्लांट में मानकों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से पशुओं का कटान हो रहा है। प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। मीट प्लांट से उठती दुर्गंध से आबोहवा के जहरीली हो जाने से  सांसें लेना दूभर हो गया है। शिवभक्तों के सामने भी दुर्गंध परेशानी का सबब बनी है। इतना भी तब है, जब सीएम योगी ने शिवभक्तों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आने देने के निर्देश दे रखे हैं। इसके बावजूद सरकारी मशीनरी की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
   कैराना कस्बे में कांधला रोड पर घनी आबादी के बीच मीम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड स्थित है, जिसमें दिन-रात स्लाटरिंग चल रही है। वैसे तो पशुओं के वध करने की संख्या निर्धारित की गई है, लेकिन यहां तमाम मानकों को ताक पर रखकर बड़े पैमाने पर पशुओं का वध किया जा रहा है। प्लांट में हड्डी व चर्बी भी गलाई जा रही है, जिसकी चिमनी निकलने वाले धुएं से हवा में जहर घुल रहा है। वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। थोड़ी हवा चलते ही तो हाल बेहद बुरा हो जाता है। बदबू का इतना बुरा हाल है कि मीट प्लांट से 100 या 500 मीटर की दूरी पर भी व्यक्ति खड़े नहीं हो पाते हैं। इतना ही नहीं, पशुओं का कटान करने के उपरांत ब्लड को नालियों में बहा दिया जाता है। अवशेष भी इधर-उधर फेंक दिए जाते हैं। वहीं, भूजल स्तर भी लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। इसके चलते आसपास मोहल्लों में संक्रामक रोगों ने पैर पसार लिए हैं। अब जबकि कांवड़ यात्रा प्रारंभ हो रही है और शिवभक्त कांवड़ियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। कांवड़ यात्रा को लेकर मीट की दुकानें बंद जरूर कराई गई है, लेकिन उक्त मीट प्लांट की ओर किसी भी अधिकारी का कोई ध्यान नहीं है। बताया जाता है कि मीट प्लांट से कुछ ही दूरी पर कांधला तिराहे से होकर पवित्र गंगाजल लेकर आने वाले कांवड़िए गुजरते हैं। ऐसे में दुर्गंध से कांवड़ियों को भी परेशानी हो रही है। एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिवभक्त कांवड़ियों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आने देने के अधिकारियों को निर्देश दे रखे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी मशीनरी का मीट प्लांट की ओर कोई ध्यान नहीं है।