- पुनर्जन्म के लिए नियमित रूप से छोड़ा जाए पानी
कैराना। शिवालिक की पहाड़ियों से निकलकर बहने वाली काठा नदी की कोख इन दिनों बूंद-बूंद पानी को तरस रही है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं जिला गंगा समिति के सदस्य ने एसडीएम को पत्र दिया है। उन्होंने काठा नदी के पुनर्जन्म के लिए नियमित रूप से पानी छोड़े जाने की मांग की है।
क्षेत्र के गांव रामड़ा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं जिला गंगा समिति के सदस्य मुस्तकीम मल्लाह ने शनिवार को एसडीएम को पत्र दिया है। बताया है कि काठा नदी शिवालिक की पहाड़ियों से निकलती है, जो जनपद सहारनपुर से लेकर क्षेत्र के गांव मवी-हैदरपुर में यमुना नदी में समायोजित होती है। इन दिनों काठा नदी का क्षेत्रफल सूखा पड़ा है। पूर्व में कई बार पुनर्जन्म के प्रयास किए गए। इसी क्रम में पूर्व सांसद दिवंगत बाबू हुकुम सिंह के प्रयासों से जिला मुख्यालय पर महत्वपूर्ण बैठक भी हुई थी, जिसमें पूर्वी यमुना नहर से नियमित रूप से पानी छोड़े जाने का मसौदा तैयार हुआ था, लेकिन आजतक काठा नदी में नियमित पानी प्रवाहित नहीं किया गया। उनकी संस्था लगभग 14 वर्षों से काठा नदी पुनर्जीवित अभियोग आमजन की सहभागिता से चला रही है, जिसमें सरकारी व गैर सरकारी तौर पर काफी कार्य भी हुआ है, लेकिन काठा नदी को पुनर्जन्म की आस पूरी नहीं हो पाई है। यह नदी जिले की एकमात्र प्राकृतिक नदी है, जिसमें बरसात में अरबों लीटर जल संचयन किया जा सकता है। ऐसा होने पर भू-जल स्तर को गिरने से भी काफी हद तक रोका जा सकता है। उन्होंने पूर्वी यमुना नहर सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता को आदेशित कर काठा नदी के पुनर्जन्म हेतु नियमति रूप से पानी छुड़वाये जाने की मांग की है।
क्षेत्र के गांव रामड़ा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं जिला गंगा समिति के सदस्य मुस्तकीम मल्लाह ने शनिवार को एसडीएम को पत्र दिया है। बताया है कि काठा नदी शिवालिक की पहाड़ियों से निकलती है, जो जनपद सहारनपुर से लेकर क्षेत्र के गांव मवी-हैदरपुर में यमुना नदी में समायोजित होती है। इन दिनों काठा नदी का क्षेत्रफल सूखा पड़ा है। पूर्व में कई बार पुनर्जन्म के प्रयास किए गए। इसी क्रम में पूर्व सांसद दिवंगत बाबू हुकुम सिंह के प्रयासों से जिला मुख्यालय पर महत्वपूर्ण बैठक भी हुई थी, जिसमें पूर्वी यमुना नहर से नियमित रूप से पानी छोड़े जाने का मसौदा तैयार हुआ था, लेकिन आजतक काठा नदी में नियमित पानी प्रवाहित नहीं किया गया। उनकी संस्था लगभग 14 वर्षों से काठा नदी पुनर्जीवित अभियोग आमजन की सहभागिता से चला रही है, जिसमें सरकारी व गैर सरकारी तौर पर काफी कार्य भी हुआ है, लेकिन काठा नदी को पुनर्जन्म की आस पूरी नहीं हो पाई है। यह नदी जिले की एकमात्र प्राकृतिक नदी है, जिसमें बरसात में अरबों लीटर जल संचयन किया जा सकता है। ऐसा होने पर भू-जल स्तर को गिरने से भी काफी हद तक रोका जा सकता है। उन्होंने पूर्वी यमुना नहर सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता को आदेशित कर काठा नदी के पुनर्जन्म हेतु नियमति रूप से पानी छुड़वाये जाने की मांग की है।