जश्न-ए-इमाम मेंहदी की 255 वीं जयंती पर महफिल का आयोजन

कैराना। जश्न-ए-इमाम मेंहदी की 255 वीं जयंती पर कस्बे के इमामबारगाह कलां में एक शानदार महफ़िल का आयोजन किया गया, महफ़िल की अध्यक्षता मौलाना रईस-उल-हसन ने की तथा संचालन वसी हैदर साकी ने किया।
       इस अवसर पर मौलाना रईस-उल-हसन ने महफ़िल को सम्बोधित करते हुए बारहवें इमाम सीरत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम बाहुकमे ख़ुदा फरमाए गेबत में हैं। और जब यह संसार जुल्मो सितम से भर जायेगा तो इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ज़हूर होगा। हमें चाहिए कि उनकी सीरत को अपनाएं। 
        वहीं नगर के मुकामी शायरों ने महफ़िल में नातियां कलाम पेश करते हुए महफ़िल को रोनक बक्शी। महफ़िल को कामयाब बनाने में बुजुर्ग शायर हाजी अकबर अंसारी, ने भी अपना कलाम पेश किया,तो नगर के प्रसिद्ध कवि शायर उस्मान उस्मानी ने एक के बाद एक नातिया कलाम पेश किए।
       इस अवसर पर पत्रकार शायर सलीम फ़ारुकी ने भी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शान में नातिया अशार पढ़ कर महफ़िल को रोनक बक्शी,इस दौरान सरवर हुसैन,अतीक अहमद शाद, रविश ज़ैदी,बाकर रज़ा ज़ैदी,कारी मुज़म्मिल,शारिब अली, जानिब अली,शायर इक़बाल अहमद, कुर्रेत उल ऐन मेंहदी, गुलज़ार अली, नियाज़ नानोतवी,राहत अली,नातिक अब्बास,मौ0 जाफर, अर्सलान हैदर,मज़ाहिर हुसैन, मौहम्मद अली ने भी अपने अपने कलाम पेश किए।
        महफ़िल को कामयाब बनाने में हाजी शाहिद हुसैन,हाजी जाफर,काज़िम हुसैन, आसिफ़ अली, शबाब हैदर जैदी,अली अब्बास उर्फ छोटा,अमदार, शहजाद रज़ा व तालिब हुसैन सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। महफ़िल रात्रि नो बजे से देर रात तक जारी रही, बाद में हाजी शाहिद हुसैन व शारिब हुसैन ने महफ़िल में आये सभी शायरों और लोगों का शुक्रिया अदा किया।