यूनानी चिकित्सा पद्धति की डर्बिक तकनीक से रियाज़त-फिज़िकल मेडिसिन योगाभ्यास एक-साथ सीखना और सिखाना हुआ प्रारंभ
जयपुर। राजस्थान सरकार के सहयोग से यूनानी चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योगा वैज्ञानिक डा. बदरुल इस्लाम कैरानवी की रीसर्च "डर्बिक तकनीक" से रियाज़त-फिज़िकल मेडिसिन योगाभ्यास एक-साथ सीखना और सिखाना प्रारंभ हुआ।
        राजस्थान में अखिल भारतीय यूनानी मेडिकल कांग्रेस का तज़र्बा सफल, यूनानी चिकित्सा पद्धति के हर्बल उपचार के साथ साथ पारंपरिक हक़ीमी इलाज़-बीत-तदबीर के सर्व-हिताय अंग रियाज़त-फिज़िकल मेडिसिन, योगाभ्यास डर्बिक तकनीक के साथ बढ़ावा देने के लिए सीखना और सिखाना की प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यशाला के रूप में राजस्थान सरकार के ओएसडी डॉ. शौकत अली के मार्गदर्शन में जयपुर से शुरू की गई। कार्यशाला में सफल होने वालों को आपने रियाज़त-फिज़िकल मेडिसिन, योगाभ्यास के सर्टिफिकेट भी प्रदान किए।
         डर्बिक तकनीक से लम्बे समय तक की जाने वाली रियाज़त-फिज़िकल मेडिसिन, योगाभ्यास का पाचन तंत्र को स्थिर और मजबूत रखने में क्या लाभकारी प्रभाव पड़ता है इस सच्चाई के एक प्रमाण का निरीक्षण एवं परीक्षण डॉ. फैयाज अहमद, निदेशक, यूनानी चिकित्सा विभाग, राजस्थान सरकार को कराने के लिए 67 वर्षीय डॉ. बदरुल इस्लाम कैरानवी ने अपने पेट पर एक डॉक्टर को खड़ा करके दिखाया, इस शोध प्रक्रिया के ऑनलाइन और ऑफलाइन अवलोकन में जयपुर के प्रसिद्ध हकीम डाक्टर शामिल थे जिन में से डॉ. फिरोज अहमद खान, डॉ. हामिद हसन, डॉ. रफी अहमद, डॉ. यासिर सिद्दीकी अग्रणीय पंक्ति में थे। 
        वहीं, डॉ. अताउर रहमान, डॉ. निसार अहमद मलिक, डॉ. मुहम्मद इरशाद खान, डॉ. नवाजुल हक की सामूहिक रूप से पल पल की रेहनुमाई एवं इस नए काम के करने के लिए हिम्मत अफजाई ने डर्बीक अभ्यास की सरल तकनीक को राजस्थान में लागू करने का ज़बरदस्त साहस दिया। इस मौके पर प्रो. डॉ. सिराजुल हक खान ने कहा कि डर्बीक अभ्यास की सरल तकनीक, जो सैकड़ों वर्षों से चिकित्स्कों के नुस्खों से गायब है और किसी क़दर सूफी संतों, ऋषि-मुनियों के यहां पाई जाती है। दरअसल, यह ईश्वर अल्लाह के नेक बंदों का खोया हुआ स्वास्थ्यवर्धक खजाना है।
      अखिल भारतीय यूनानी चिकित्सा कांग्रेस से सम्बद्ध जयपुर में उपचार करने वाले डॉ. एम. रोशन आदि को व्यायाम की डर्बिक तकनीक बहुत पसंद आई तथा जयपुर से बा-बरकत वर्ज़िशी सुन्नत की शुभ एवं अभूतपूर्व शुरुआत के असाधारण परिणामों को देखते हुए इसे मरीज़ों के स्वाथ्य में उज्ज्वल भविष्य के लिए जारी रखा जायेगा। ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के महासचिव सैयद अहमद खान को उम्मीद है कि हिजामा जैसे ही डर्बिक वर्ज़िशी तकनीक दवाओं के साथ स्वास्थ्य को बेहतर करने, उपचार और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बेहतर परिणाम देगी और यह पैरामेडिकल व्यायाम जल्द ही यूनानी चिकित्स्कों की पहली पसंद बनने के साथ साथ लोकप्रिय होने का सम्मान प्राप्त कर लेंगे।