इमाम हुसैन की याद में जार—जार रोये शिया सोगवार




— यौम—ए—आशूरा पर निकाले ताजियों के जुलूस, जमकर सीनाजनी कर किया मातम
— सुरक्षा को लेकर कड़े रहे बंदोबस्त

कैराना। हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के 72 जानिसार साथियों की याद में शनिवार को यौम—ए—आशूरा पर शिया सोगवार जार—जार रोये। सोगवारों ने तीन स्थानों से ताजियों के जुलूस निकाले गए। इस दौरान जंजीरों और ब्लैड से जमकर सीनाजनी करते हुए मातम किया गया। जुलूस में फिजाओं में या हुसैन की सदाएं बुलंद रहीं। सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस व पीएसी बल तैनात रहा।
   शनिवार को दस मोहर्रम यानी यौम—ए—आशूरा के मौके पर मोहल्ला अंसारियान में स्थित बड़ी इमाम बारगाह व छोटी इमाम बारगाह में मजलिसों का आयोजन किया गया। मजलिसों को क्रमश: बरेली से आए मौलाना तंजीम हुसैन व मुंबई से आए मौलाना असकरी खान ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 जानिसार साथियों पर बेइंतहा जुल्म किए गए, लेकिन दीन की रुक्षा के लिए वह कभी पीछे नहीं हटे। उनकी कुर्बानी समाज को इंसानियत और प्रेरणा का संदेश देती है, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
       मजलिसों के दौरान सोजख्वानी वसी हैदर साकी, सैय्यद अली हैदर जैदी व हम नवां ने की। दोपहर दो बजे छोटी इमाम बारगाह से ताजियों, अलम और जुलजनाह का जुलूस नोहाख्वानों और मातमदारों के साथ सिदरयान से होकर बड़ी इमाम बारगाह के चौक में संपन्न हुआ। इस दौरान ब्लैड व जंजीरों के साथ शिया सोगवारों ने जमकर मातमपुर्सी तथा सीनाजनी करते हुए खुद को लहुलुहान कर लिया। वहीं, बड़ी इमाम बारगाह से भी ताजिया व अलम चौक में पहुंचे। जहां लोगों ने जियारत  की। 
      तीसरा जुलूस मोहल्ला आलकलां स्थित रजा अली खां के मकान से निकल कर शामली रोड स्थित पूर्व जगदीश प्रसाद महाविद्यालय कर्बला के मैदान में पहुंचा और यहां पर भी जियारत की गई। यह जुलूस यहां संपन्न हुआ। इसके अलावा रात्रि में सैय्यद अली हैदर के यहां पर शामे गरीबा की मजलिस हुई, जिसमें मौलाना ने इमाम हुसैन के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। यही नहीं, शामे गरीबा के नाम से जुलूस निकलकर छोटे इमामबाड़े में संपन्न हुआ। इस दौरान कौसर जैदी, यावर अली, कुर्रत मेहदी, अमीर हैदर, मो. जाफर, मो. सुल्तान, मो. आगाज, फैसल अली, गुलजार अली द्वारा नोहाख्वानी की गई। वहीं, सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिगत पुलिस एवं पीएसी बल तैनात रहा।
———
दहकते हुए अंगारों पर किया मातम
शिया सोगवारो ने नौ मोहर्रम की देर रात मोहल्ला अंसारियान स्थित छोटे इमामबाड़े मे आग के दहकते अंगारो पर मातम किया। इस दृश्य को देखने के लिए भारी भीड रही। तत्पश्चात शिया सोगवारो द्वारा ताजिया जुलूस निकाला गया। वही, दुसरा ताजिया जुलूस बडे इमामबाड़े से निकाला गया। दोनो ताजिया जुलूस सिदरयान पहुंचकर बरामद हुए।
---

सुन्नी समाज के लोगों ने रखे रोजे
यौम—ए—आशूरा के मौके पर शिया समाज के लोगों द्वारा जहां मातमी जुलूस निकाला गया, वहीं सुन्नी समाज के लोगों द्वारा रोजे रखे गए। हदीस में अल्लाह के रसूल हजरत पैगंबर साहब के हवाले से मोहर्रम महीने की नौ, दस या फिर 11वीं तारीख को रोजे रखने का जिक्र किया गया है। ऐसे में सुन्नी समाज के लोग दो रोजे रखते हैं। नौ या दस या फिर दस और 11वीं तारीख में कहा जाता है कि रोजे रखने से पुण्य मिलता है और गुनाह माफ होते हैं।
.....

अखाड़ों में दिखाए कर्तब
शनिवार को यौम-ए-आशूरा पर अखाड़ों का आयोजन किया गया, जिसमें युवाओं ने हैरतअंगेज कर्तब दिखाए। बाद में गरीब एवं असहाय लोगों को भोजन, कपड़ा आदि वितरित किया गया तथा कर्बला के शहीदों को खिराज-ए-अकीदत पेश किया गया।
-------

कड़ी रही सुरक्षा, रूट किया डायवर्ट
यौम-ए-आशूरा पर ताजिया जुलूस के दृष्टिगत पुलिस तथा पीएसी बल तैनात रहा। इसके अलावा यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए रूट भी पुलिस द्वारा डायवर्ट कर दिया गया, ताकि शिया सोगवारों व राहगीरों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
——————————————