बहादुर खानदान से थे हजरत अब्बास: मौलाना तंजीम

कैराना। नगर में इमाम बारगाहों में मजलिसों का आयोजन हुआ। इस अवसर पर हजरत अब्बास के जीवन पर प्रकाश डाला गया।
       गुरुवार रात नगर के मोहल्ला आंसारियान स्थित छोटी एवं बड़ी इमाम बारगाहों में मोहर्रम की मजलिसों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सोज व सलाम तथा मर्सिया ख्वानी वसीहैदर साकी ने की। मजलिसों को मौलाना तंजीम हैदर ने संबोधन किया। उन्होंने कहा कि हजरत अब्बास का ननिहाल और ददिहाल दोनों ही बहादुर खानदान थे। हजरत अब्बास अपने बड़े भाई को भाई नहीं, बल्कि आका बुलाते थे। आका के मायने मालिक-ओ-मुख्तार के हैं। 
     उन्होंने कहा कि एक बार हजरत हुसैन ने हजरत अब्बास से कहा कि भाई मेरी भी एक तमन्ना है, आपने कभी मुझे भाई नहीं कहा, सिर्फ मौला कहा। इसलिए अंतिम समय में मुझे भाई कहकर पुकारो। उन्होंने कहा कि हजरत अब्बास बहादुर होने के साथ-साथ विद्वान भी थे तथा उस समय के सबसे ज़्यादा आलिम शख्सियतों में से एक रहे। बाद में मौलाना तंजीम हैदर के द्वारा जियारत पढ़ाई गई। 
       इस अवसर पर अल्हाज कौसर जैदी, अली हैदर जैदी, मोहम्मद अली, रजी हैदर, चुन्नन हुसैन,  सरवर हुसैन, डॉ. फरहत, आसिफ अली, रजब अली, नब्बू  जैदी, बब्बू जैदी, अलमदार हुसैन, अब्बास अली, छोटा, शबाब हैदर, गुलज़ार जैदी, शहजाद हुसैन, मेहरबान अली, अजहर हुसैन, कमाल जैदी व कुर्रत मेहदी आदि मौजूद रहे।
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