अहंकार को चूर-चूर कर देते हैं श्री हनुमान: स्वरूपानंद

कैराना। मानव चेतना केंद्र आश्रम में 500वें सुंदरकांड पाठ के अवसर पर स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद महाराज ने हनुमान की कथा की।
   महाराज ने बताया कि यदि सनातन धर्म में सबसे छोटा ग्रंथ है, तो वह हनुमान चालीसा है, जो मनुष्य दिन में सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उनके घर में किसी भी चीज की कमी नहीं रहती है। उन्होंने बताया कि जिस मनुष्य पर गुरुदेव का आशीर्वाद होता है, उसका कल्याण हो जाता है। कथा सुनने से मन पवित्र हो जाता है। मन का मेल धोने के लिए एक कथा ही सर्वोच्च रास्ता है। तुलसीदास जी कहते हैं, हे पवन पुत्र हनुमान जी मैं आपसे बाल, बुद्धि और विद्या मांगता हूं, आप मेरे क्लेश हर लीजिए। अहंकार को यदि दूर करने वाले हैं, तो वो हनुमान जी है। हनुमान जी श्रीराम के दूत हैं, जो अहंकार को चूर—चूर कर देते हैं।
       उन्होंने बताया कि शांति वन में नहीं, शांति हमारे मन में है। सब कुछ मनुष्य के अंदर ही है, लेकिन हम उसे भूल जाते हैं। हमारी भूल को याद दिला देते हैं, ऐसे संत होते हैं। 
     महाराज ने हनुमान जी के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए हर घर में सुबह—शाम हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए प्रेरित किया। सुंदर भजन व आरती के साथ कथा का समापन किया गया।
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