👉 डुंडूखेड़ा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवेंं दिन महाराज ने किये प्रवचन
👉 भजन-कीर्तन के साथ कथा का हुआ समापन
कैराना। श्रीमद् भागवत कथा में महाराज जी ने बताया कि भगवान का भजन करने से मनुष्य के मन कि शुद्धि हो जाती है। भगवान हमारे घट-घट में वास करते है, लेकिन हमें उससे पहले अपने मन को शुद्धि करनी पडती है। उसके बाद ही परमात्मा कि प्राप्ति होती है।
सोमवाऱ को कांधला क्षेत्र के गांव डुंडूखेड़ा में स्थित शिव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन स्वामी विशुद्धानन्द महाराज के परम शिष्य स्वामी ब्रह्म स्वरूपानन्द महाराज ने बताया कि समरथ को कोई दोष नहीं लगता है। जैसे जीवन जीने के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही भगवान का भजन करना भी बहुत जरूरी है। जो मनुष्य भगवान का भजन करते है उनका ही जीवन सुखी है। भगवान का भजन करने से मन कि शुद्धि होती है।
भगत सुदामा कि पत्नी सुशीला, सुदामा से कहती है क्या तुम्हारी दुवारिकदीश से दोस्ती है। तो सुदामा अपनी पत्नी सुशीला से बताते है। हांं सुशीला बालकपन में मेरी दोस्ती श्री कृष्ण से हुई थी। सुदामा ने अपनी पत्नी से कान्हा के बारे में बताया ओर रोते हुवे कहा सुशीला उनके सामने कैसे मांंगने जाऊ। सुदामा अपनी पत्नी के लाख बार कहने पर श्री द्वारिकादिश भगवान श्री कृष्ण से मिलने के लिए चल देते है।
सुदामा द्वारिकादिश पहुंच जाते है ओर श्री कृष्ण के महल का पता पहुंचते है। श्री कृष्ण सुदामा से मिलने के लिए दरबार से नागे पाव दौड़ पड़ते है ओर कहते सुदामा मेरे मित्र तुम आ गए हो। भगवान श्री कृष्ण सुदामा के हाल को देखकर रोने लगे ओर अपने आंसू से सुदामा के पैर धोये, भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा से घर परिवार के बारे में पूछा ओर अपनी दया दृस्टि से सुदामा कि निर्धनता दूर कर दी है। ओर सुदामा वापस अपने घर चले गए।
महाराज ने बताया कि ज़ब मनुष्य को संत कि प्राप्ति हो जाती है उन्हें सत्य का ज्ञान हो जाता है उस वक्त मनुष्य को परमात्मा कि प्राप्ति हो जाती है। अगर मन कि शुद्धि करनी है तो परमात्मा का भजन कीजिये।
वही, सुंदर भजन-कीर्तन के साथ साप्ताहिक श्रीमद भागवत कथा का समापन किया गया। इस दौरान गांव व दूरदराज से शिव मंदिर में पहुंच सेकड़ो श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण की।
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