कैराना। कस्बे के मदरसा इशाअतुल इस्लाम का 62 वां सालाना इजलास मौलाना सैय्यद मोहम्मद उस्मान सहारनपुरी की दुआ पर संपन्न हो गया।
मौलाना सैय्यद मोहम्मद उस्मान ने बयान करते हुए कहा कि समाज में फैली हुई बुराइयों को खत्म करने के लिए इस तरह के धार्मिक प्रोग्राम होते रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि नशा, जुआ ,सट्टा आम हो गया है इसको छोड़ देना चाहिए वरना उसको नरक यानी जहन्नुम में जगह मिलेगी।
उन्होंने कुरान हाफिज कुरान की अहमियत को बयान करते हुए कहा कि इस्लाम की नज़र में हाफ़िज़-ए- क़ुरान का पद और दर्जा बहुत ऊंचा है। जो लोग पवित्र कुरान की शिक्षा में लगे हुए हैं, वे अल्लाह के नबी व अल्लाह की नजर में अच्छे और पसंदीदा हैं, इसलिए पैगंबर का कहना है कि आप में से सबसे अच्छा वही है जो पवित्र कुरान सीखता है और दूसरों को सिखाता है।
उन्होंने कहा कि कुरान के हाफ़िज़ का अल्लाह की नज़र में एक महान स्थान है और यह स्थिति और निकटता पवित्र कुरान को याद करने के आशीर्वाद के कारण है। एक बार पैगंबर स० ने अपनी मुबारक मजलिस में कहा कि अल्लाह के कुछ विशेष सेवक हैं, अल्लाह के पैगंबर वे लोग कौन हैं ? आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा, "कुरान को याद करने वालों का एक बड़ा स्थान है और ये लोग अल्लाह के बंदे और सबसे अच्छे हैं।
मौलाना मुशर्रफ दौलतपुरी ने कहा कि कुरान को जब किसी के सीने में सुरक्षित रखा जाएगा, तो हाफ़िज़ क़ुरआन का मर्तबा और दर्जा ऊंचा हो जाएगा। इस तथ्य को हम एक उदाहरण के रूप में भी मान सकते हैं कि जब कोई व्यक्ति किसी राजा, शासक या उच्च अधिकारी से किसी प्रकार का रिश्ता और संपर्क बनाता है तो उसकी गिनती विशिष्ट लोगों में होने लगती है और वह व्यक्ति उस रिश्ते को अपना रिश्ता मानता है। क्योंकि वह मान-सम्मान को ऐसे समझने लगता है जैसे उसे बहुत बड़ी दौलत मिल गई हो।
जलसे को हरियाणा जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना हारून हाशमी, मौलाना जुनैद नदवी व मौलाना गुलज़ार कासमी सहित आदि ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर 42 बच्चियों व 14 बच्चों की दास्तार बंदी हुई। जिस में 4 हाफिज-ए-कुरान थे। दस्तारबंदी मौलाना उस्मान साहब ने की ।
इस दौरान मदरसे के मोहतमिम मौलाना बरकतुल्ला अमीनी,मास्टर समीउल्लाह खान, डॉ अजमतउल्ला खान, हकीम अख्तर, कारी अब्दुल रहमान, मोहम्मद अशफाक खान , इंतजार अंसारी, शहजाद बागबान, हाफिज शमशीर, मौलाना सुफियान, मौलाना अजीम,कारी साजिद, मौलाना नोमान ,शाहजर खान आदि मौजूद रहे। जलसे का कुशल संचालन कारी वाजिद ने किया।
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