तन की नही मन की पवित्रता को देखते है भगवान : ब्रह्म स्वरूपानंद

👉 देव आदिदेव महादेव के बगैर कोई भी कथा पूर्ण नही होती

👉 श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन महाराज ने किए प्रवचन 
कैराना(शामली)। मानव चेतना केंद्र आश्रम ऊंचागांव में चल रही श्रीमद् भगवत कथा के छठे दिन स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद महाराज ने अपने प्रवचन करते हुवे बताया कि मनुष्य को भ्रम है की घर परिवार और संसार को हम ही चला रहे है, लेकिन जो चला रहा है वो दिखाई नही देता। वह परमात्मा है। कर्ता तो सब कुछ भगवान ही है लेकिन मनुष्य इसे अपना समझ लेता है। इसके कारण ही दुखी है।
       रविवार को कैराना क्षेत्र के ऊंचागांव में कांधला रोड पर स्थित मानव चेतना केंद्र आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन स्वामी विशुद्धानंद महाराज के परम शिष्य स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद महाराज ने अपने प्रवचन में बताया कि जो मनुष्य दूसरो का भला सोचता है उनका ही भला होता है। अभिमानी व्यक्ति किसी का नही होता, यदि उसका अभिमान टूट जाए तो वह आग बबूला हो जाता है। साधु संत और मनुष्य सब मिलना चाहते है भगवान से लेकिन जब भगवान भी चाहे जब मिला जा सकता है। हमे सभी को ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे हमे भगवान की प्राप्ति हो जाए। 
       महाराज ने बताया कि गोपियां भगवान श्रीकृष्ण से मिलने के लिए उनके पास मधुबन में पहुंच जाती है, भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों से कहा हे गोपियों आप अपने घर जाओ, तो गोपियां भगवान से कहती है हम जाने के लिए नही आए है हम तो आप में लीन होने के लिए आए है। संसार और परिवार के लिए सब रोते है लेकिन कुछ नही मिलता, लेकिन जो मनुष्य भगवान की भक्ति में और भगवान से मिलने के लिए रोता है उनके सारे पाप नष्ट हो जाते है ऐसे मनुष्य भगवान को अति प्रिय होते है। 
        महाराज ने बताया कि दो बात मनुष्य को सदा याद रखना चाहिए भगवान और मौत को, एक दिन यह संसार छोड़कर सबको जाना है। भगवान हमारा मन देखता है उन्हे हमारे तन से कोई संबंध नहीं है। भगवान भक्त का भाव देखता है। दूसरे के आधीन रहने वाला मनुष्य कभी खुश नही रहता इस लिए इस संसार में कभी भी हमे किसी के आधीन नही रहना चाहिए। सच्चा साथ केवल भगवान का है इस लिए भगवान को सदा याद रखे और भाव के साथ इनका मनन करे, यही हमारी मुक्ति का दुवार है।
      महाराज कहते है किसी के ज्यादा पास नही रहना चाहिए, ज्यादा पास रहने पर मनुष्य अवगुण देखना शुरू कर देते है उनके गुणों को भुला देते है। मीठे में सदा कीड़े चल जाते है, लेकिन कड़वे में कभी कीड़े नही पड़ते। वही, उन्होंने कहा भगवान खोजने से नही मिलते है भगवान को प्राप्त करने के लिए साधु संतो और गुरु की शरण में जाना पड़ेगा। जो मनुष्य सच्चे मन और भाव से परमात्मा का ध्यान करता है और अपने गुरु की सेवा करता है उन्हे भगवान की प्राप्ति होती है। सुंदर भजनों के साथ गांव व बाहर से आए भारी संख्या मे श्रद्धालुओ कथा श्रवण की।
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