वक्फ और मदरसों की रक्षा के लिए आंदोलन जरूरी: मदनी

👉 जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने मोहम्मदपुर राई गांव में किया संबोधन
👉 तीन नवंबर को दिल्ली में सम्मेलन में पहुंचने का किया आह्वान
कैराना (शामली)। जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना सैय्यद असजद मदनी ने कहा कि इस्लाम विरोधी ताकतें वक्फ और मदरसों को खत्म करने के तमाम हथकंडे अपना रही है। लेकिन, हमें इनकी रक्षा करनी है, जिसके लिए हमें कानूनी दायरे में रहकर आंदोलन करने की आवश्यकता है। उन्होंने तीन नवंबर को दिल्ली में होने वाले जमीयत के सम्मेलन में पहुंचने का भी आह्वान किया।
          रविवार देर शाम क्षेत्र के गांव मोहम्मदपुर राई में स्थित जामा मस्जिद में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य अतिथि जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना सैय्यद असजद मदनी पहुंचे। मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद लगभग 100 सालों से मुसलमानों के हक की लड़ाई लड़ रही है। देश को आजाद कराने में उलमाओं और मुसलमानों ने बलिदान दिया है। देश में सभी को अपने धर्म और संविधान के अनुसार रहने के अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ इस्लामिक विरोधी ताकतें नित-नए हथकंडे अपना रही है, जिनके जरिये वक्फ और मदरसों को टारगेट किया जा रहा है। उन्हें खत्म करने की कोशिशें की जा रही है। उन्होंने कहा कि वक्फ की भूमि कोई सरकारी नहीं है, क्योंकि ये भूमि वो है, जिसे लोगों ने अपनी स्वैच्छा से अल्लाह के नाम पर दान किया हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि वक्फ और मदरसे नहीं रहेंगे, तो ये भविष्य के लिए ठीक संकेत नहीं है। मदरसों के स्थानों पर स्कूल-कॉलेज बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमारा उद्देश्य स्कूल-कॉलेजों का विरोध करना नहीं, बल्कि मदरसों को बचाना है। स्कूल-कॉलेजों की स्थापना मदरसों से अलग होनी चाहिए। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि अपने बच्चों को दुनियावी शिक्षा भले ही दिलाओ, लेकिन दीनी शिक्षा से वंचित नहीं होने देना है। 
      उन्होंने कहा कि आसाम में सन 1951 से 1971 के बीच हिंदुस्तान में आकर रहने वाले लोगों को कहा गया था कि वे यहां के नागरिक नहीं है। यह मामला भी जमीयत सुप्रीम कोर्ट लेकर गई थी, जिसके बाद लाखों लोगों के हक में ऐतिहासिक फैसला आया था। मौलाना असद मदनी ने आगे कहा कि जमीयत उलमा—ए—हिंद के तत्वावधान और जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष हजरत मौलाना सैय्यद अरशद मदनी की अध्यक्षता में आगामी तीन नवंबर को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम नई दिल्ली में 'तहफ्फुज आईन—ए—हिंद कनविंशन' यानी भारतीय संविधान रक्षा सम्मेलन होगा। इसके लिए अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने का आह्वान किया गया। कहा कि अपनी मस्जिदों, मदरसों, वक्फ, बच्चों, नई नस्लों, धर्म और संविधान से मिले अधिकारों के लिए घरों से निकलना होगा। अंत में मौलाना मदनी की दुआ पर कार्यक्रम का समापन हुआ। 
       इस अवसर पर मौलाना हारून कासमी, मौलाना शौकत अली, मौलाना अय्यूब, मौलाना शुऐब, मौलाना याकूब थानवी, मौलाना बरकतुल्लाह अमीनी, मास्टर समीउल्लाह खान, डॉ. अजमातुल्लाह खान, हाफिज इंतजार, मौलाना सुफियान, मोहम्मद मुस्तफा एडवोकेट, हाजी यामीन, हाजी शमून, हाफिज हारून, डॉ. मारूफ, सादिक आदि मौजूद रहे।
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