खून के आंसू रुला रहा कैराना का मीट प्लांट, प्रदूषण से बढ़ी परेशानी

शामली: कैराना में घनी आबादी के बीच में संचालित मीट प्लांट मौत को न्यौता दे रहा है। तमाम नियम-कायदों को ताक पर रखकर हो रहे प्लांट के संचालन से दिनोंदिन प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है। इससे लोगों को जानलेवा बीमारियों ने जकड़ लिया है। कैंसर और काला पीलिया से दर्जनों लोग काल के ग्रास में समां चुके हैं। प्लांट पर कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति ही होती रही है।



कांधला रोड की ओर से कभी कस्बे में प्रवेश करो तो दुर्गंध से समझ जाओगे कि यही कैराना है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि घनी आबादी के बीच में मीम एग्रो फूड्स प्राईवेट लिमिटेड (मीट प्लांट) से आसपास इलाके में गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है। वायु प्रदूषण इस कदर है कि सांस भी ठीक से नहीं लिया जाता है। प्लांट में मानकों को ताक पर रखकर पशुओं का वध किया जाता है और अवशेषों को इधर-उधर फेंक दिया जाता है। इतना ही नहीं, प्लांट में स्थापित चर्बी एवं हड्डी गलाने का काम भी जोरों से होता है, जिससे निकलने वाले जहरीले धुएं ने लोगों की कमर तोड़ दी है। मामूली हवा चलते ही दुर्गंध आधी आबादी के नाक में दम कर देती है। प्लांट का आसपास वाले इलाके में कैंसर, हेपेटाइटिस-सी जैसी खतरनाक बीमारियों ने लोगों को जकड़ लिया है। अभी तक दर्जनों लोग मौत के गाल में समां चुके हैं, कुछ ऐसे हैं कि जिनका इलाज चल रहा है। लेकिन, यहां पर स्वास्थ्य विभाग की टीम जाकर तक भी नहीं झांकती हैं। ऐसे में लोग बेहद परेशान हैं।




  • फाइलों में दब जाती है जनता की आवाज
    जनता जितनी परेशान हैं, उतनी ही बेबस भी हैं। कई बार जनता मीट प्लांट को बंद कराने के लिए आवाज बुलंद कर चुकी है। बाकायदा लिखित में अफसरों को शिकायतें तक की जाती है। टीम प्लांट में जाकर जांच के नाम पर महज खानापूर्ति कर लौट जाती है। इसके बाद जनता के शिकायती पत्र भी फाइलों में दबकर रह जाते हैं। अभी तक प्रभावी कार्रवाई प्लांट के खिलाफ नहीं हुई है।


 



  • टूटी उम्मीदों की डगर
    साल 2017 में योगी सरकार ने स्लाटर हाउसों के खिलाफ बडा एक्शन लिया। इसी के तहत कैराना में इस मीट प्लांट पर भी प्रशासन ने सील लगा दी थी। उस समय लोगों को काफी राहत मिली थी। कुछ दिनों बाद ही फिर से प्लांट का संचालन जारी हो गया, जिसके बाद अब लोगों की प्रतिबंध की आस भी टूटती हुई नजर आ रही है।