- मुगल काल में कैराना में बनाया गया था ऐतिहासिक नवाब तालाब
- सरकार की अनदेखी के चलते गंदे नाले में तब्दील हुआ तालाब
कैराना। इतिहास के पन्ने पलटने पर कई ऐसी धरोहरे मिलती हैं, जिनके निर्माण की आज कल्पना भी नहीं की जा सकती। कैराना में भी ऐसा ही ऐतिहासिक नवाब तालाब है। इस तालाब का निर्माण मुगल बादशाह जहांगीर ने कराया था, जिसकी खूबसूरती निहारने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते थे, लेकिन अब यह धरोहर गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। देश में चल रहा स्वच्छता अभियान भी यहां दस्तक नहीं दे पाया है।
दानवीर कर्ण की बसायी नगरी कैराना का इतिहास पुराना रहा है। यहां कई ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं। मुगल दौर के बादशाह जहांगीर ने पानीपत-खटीमा राजमार्ग से करीब 200 मीटर की दूरी पर नवाब तालाब स्थापित कराया था। तालाब का सीधा ताल्लुक यमुना नदी से हुआ करता था। जहां से तालाब के अंदर यमुना का शुद्ध पानी आता था। हकीम नवाब अली मुकर्रब खां ने तालाब का निर्माण शिष्य दैत्यों द्वारा कराया था। तालाब किनारे भव्य बाग और कुएं भी थे। तालाब के बीचों-बीच ‘सुफ्फा-ए-माहताबी’ नामी 22 गज का चबूतरा भी बनवाया गया था, जो आज पानी में विल्पुत हो गया है। कर्ण नगरी में करीब 140 बीघा में मौजूद यह ऐतिहासिक धरोहर फिलहाल अनदेखी का शिकार हो रही है। आलम यह है कि तालाब एक गंदे नाले में तब्दील होकर रह गया है। गंदगी ने हालात बिगाड़ दिए हैं। यहां आने वाले लोग भी कतराने लगे हैं।
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उपेक्षा का शिकार तालाब, कब होगा जीर्णोद्धार
कभी नवाब तालाब आकर्षण का केंद्र बना रहता था। इसकी खूबसूरती निहारने के लिए यहां दूर-दराज से लोगों का जत्था पहुंचता था, लेकिन मुगल सल्तनत के दौर की यह ऐतिहासिक धरोहर अब गंदा नाला बन चुकी है। सरकारों की उपेक्षा के चलते तालाब गंदगी से अटा पड़ा है। तालाब में बेरोकटोक खूब गंदगी डाली जा रही है। तालाब का पानी भी काला पड़ गया है। बदबू से तालाब के पास खड़ा होना भी दुश्वार हो गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर तालाब का जीर्णोद्धार कब होगा।
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पर्यटक स्थल की आस भी अधूरी
पूर्व सांसद स्वर्गीय बाबू हुकुम सिंह ने नवाब तालाब के सौंदर्यीकरण की मांग उठाई थी। वें इस तालाब को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर आकर्षण का केंद्र बनाना चाहते थे, लेकिन सांसद के निधन के बाद आज तक उनकी यह आस भी पूरी नहीं हो पाई है।
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इन्होंने कहा-
दुर्भाग्य की बात है कि ऐतिहासिक नवाब तालाब फिलहाल एक कूड़ादान बनकर रह गया है। प्राचीन काल में जिस तकनीक से इस तालाब का निर्माण हुआ था, वह आज करना मुमकिन नहीं है। यह तालाब त्रिकुण्ड व्यवस्था में था। लगातार तीन तालाबों के जरिए यमुना से यहां शुद्ध पानी पहुंचता था। शासन और सरकारों की अनदेखी की वजह से आज यह ऐतिहासिक तालाब खराब हालत में हैं। सरकार को इसे पर्यटन स्थल में स्थापित करने की जरूरत है।
- मुस्तकीम मल्लाह, भगीरथ प्रयास सम्मान विजेता