मीट फैक्ट्री से फैल रहा काला पीलिया, जान गंवा रहे लोग
👉 आबादी के बीच धड़ल्ले से हो रहा मीट फैक्ट्री का संचालन, स्थानीय बाशिंदों का सांस लेना तक हुआ दूभर

कैराना (शामली)। कैराना में घनी आबादी के बीच संचालित मीट फैक्ट्री स्थानीय बाशिंदों के लिए गंभीर संकट का कारण बनी हुई है। फैक्ट्री की चिमनी से निकलने वाला जहरीला धुआं और दूषित भूजल के सेवन से लोगों में हेपेटाइटिस—सी (काला पीलिया) बीमारी फैल रही है। बीमारी के कारण कई लोग असमय काल के गाल में भी समा चुके हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन हो या जनप्रतिनिधि, इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
      ज्ञज्ञ  कैराना नगर के कांधला रोड पर मीट फैक्ट्री स्थित है। फैक्ट्री से सटा हुआ मोहल्ला दरबारखुर्द रेतावाला है। यहां के बाशिंदे फैक्ट्री का दंश झेल रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि फैक्ट्री से निकलने वाले अपशिष्ट ने भूजल को पूरी तरह बेकार कर दिया है, जिसके सेवन से बच्चे, युवा और बुजुर्ग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। विशेष रूप से हेपेटाइटिस—सी (काला पीलिया) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसके चलते कई लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं। दूषित पानी के सेवन से पेट दर्द, उल्टी और पीलिया जैसी बीमारियां आम हो गई हैं। लोगों को डर इस बात का है कि कहीं बीमारी महामारी का रूप न ले लें।  लोगों ने बताया कि रात में फैक्ट्री में अधिक चलती है, जिसकी चिमनी से जहरीला धुआं निकलता है। धुएं के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया है। रात के समय लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। घरों के अंदर भी चैन नहीं आता है। दुर्गंध के कारण रात में तो ऐसी भीषण गर्मी में सो ही नहीं पाते हैं। उनका आरोप है कि फैक्ट्री प्रबंधन पर्यावरण नियमों का खुला उल्लंघन कर रहा है। वायु प्रदूषण की रोकथाम के कोई बंदोबस्त नहीं है।लोगों का कहना है कि जब तक प्रदूषण का स्रोत खत्म नहीं होगा, उनकी सेहत और जीवन सुरक्षित नहीं हो सकता। कई बार शिकायतों के बावजूद भी कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई है, जिस कारण लोग बेहद परेशान हैं। मोहल्लेवासियों ने आबादी में चल रही मीट फैक्ट्री के संचालन को बंद करने की मांग की है।
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👉 मकान बेचने तक को मजबूर हुए थे लोग
मीट फैक्ट्री से त्रस्त लोगों का गुस्सा भी चरम पर पहुंच गया था। पिछले दिनों स्थिति इतनी विकट हो चुकी थी कि कई परिवारों ने अपने मकानों पर यह मकान बिकाऊ है लिखकर पलायन की चेतावनी दी थी। उनका कहना था कि फैक्ट्री के प्रदूषण ने उनका जीना मुहाल कर दिया है। आरोप था कि प्रशासन से बार-बार शिकायत की जाती है, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती। पलायन की धमकी के बावजूद हालात आज भी जस के तस हैं।
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👉 अपर आयुक्त को मिली थी खामियां, फिर भी कार्रवाई नहीं
सितंबर 2024 में सहारनपुर अपर आयुक्त रमेश यादव शिकायतों के बाद मीट फैक्ट्री की जांच को पहुंचे थे। उन्हें भारी अनियमितताएं मिली थी, जिस पर फैक्ट्री संचालक को फटकार लगाई गई थी। आसपास के हैंडपंपों से पानी के सैंपल भी भरवाए गए थे। दुर्गंध के कारण खुद अपर आयुक्त को भी मास्क लगाना पड़ा था। अपर आयुक्त ने कहा था कि आबादी में मीट फैक्ट्री की जांच कराकर कार्रवाई कराई जाएगी। लेकिन, फिलहाल भी फैक्ट्री का संचालन बदस्तूर जारी है।
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