मीट फैक्ट्री में धड़ल्ले हो रहा बच्चा पशुओं का वध
- फैक्ट्री में ठेंगे पर हैं नियम-कायदे, योगी सरकर में भी कैराना की जनता को नहीं मिल रही निजात, प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड खामोश

कैराना (शामली)। सूबे में योगी की सरकार बनने के बाद स्लाटर हाउसों की उल्टी गिनती शुरू हुई थी लेकिन, करीब छह वर्षों के बाद भी कैराना की जनता को मीट फैक्ट्री से निजात नहीं मिल पाई है। घनी आबादी के बीच मीट फैक्ट्री में मानकों को ठेंगे पर रखकर पशु चिकित्सक की अनुपस्थिति में पशुओं का कटान किया जा रहा है। प्रतिबंध के बावजूद बच्चा पशुओं का कटान भी धड़ल्ले से चल रहा है। फैक्ट्री से उठने वाली दुर्गंध से प्रदूषण का ग्राफ दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इससे आबोहवा के जहरीले होने के कारण सांसों पर संकट खड़ा हो गया है। इन सबके बावजूद प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आश्चर्यजनक चुप्पी साध रखी है।
          वर्ष 2017 में सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद बूचड़खानों पर कार्यवाही होती नजर आई थी। उस दौरान कैराना नगर के कांधला रोड पर घनी आबादी के बीच संचालित मीट फैक्ट्री से भी जनता को लंबे समय बाद निजात मिलने की आस जगी थी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ है। इन दिनों मीट फैक्ट्री में मानकों की धज्जियां उड़ाकर बड़े पैमाने पर पशुओं का वध किया जा रहा है। इसमें बड़े पशु ही नहीं, बल्कि प्रतिबंध के बावजूद बच्चा पशुओं का भी कटान धड़ल्ले से किया जा रहा है। गंभीर पहलू यह है कि मीट फैक्ट्री में पशु चिकित्सक की उपस्थिति कागजों तक सिमट कर रह गई है। पशु चिकित्सक की अनुपस्थिति में बिना किसी जांच के मीट फैक्ट्री में कटान कार्य जारी रहता है।
       वहीं, फैक्ट्री परिसर स्थापित प्लांट में हड्डियों को गलाया जाता है, जिसकी चिमनी से निकलने वाले धुएं से दुर्गंध फैल रही है और वायु प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है, जिस कारण फैक्ट्री के आसपास वाले इलाके में आबोहवा के जहरीला होने से सांस लेना भी दूभर हो गया है। इतना ही नहीं, नालियों में खून बहाये जाने से भू-जल भी प्रदूषित हो रहा है। काला पीलिया जैसी घातक बीमारियों ने ठीक-ठाक लोगों को जकड़ लिया है। पूर्व में फैक्ट्री में अनियमितताओं की भरमार भी रह चुकी है। मृत पशु हो या गर्भवती भैंसों के कटान हो या फिर अवशेषों को इधर-उधर फेंकने के मामले में भी फैक्ट्री चर्चित रही है। ऐसा भी नहीं है कि फैक्ट्री से त्रस्त लोग चुप बैठे हो बल्कि कई बार शिकायतें भी होती रही है। कुछ परिवार तो पलायन तक को मजबूर हुए थे, जिन्होंने अपने मकानों पर बिकाऊ तक लिखवा दिया था। बावजूद इसके मीट फैक्ट्री बदस्तूर दर्द दे रही है। मीट फैक्ट्री पर प्रभावी कार्यवाही नहीं हो रही है। तमाम दुश्वारियों के बीच कैराना की जनता को सीएम योगी से फैक्ट्री पर कार्यवाही की उम्मीद है।
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👉 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी कर दी खानापूर्ति
पिछले दिनों कांवड़ यात्रा के दौरान मीट फैक्ट्री के संचालन से शिवभक्तों को हो रही समस्याओं का मुद्दा जोरशोर से उठा था। उस दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी संज्ञान लिया था। 18 जुलाई को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ ने मुजफ्फरनगर विभाग को कार्यवाही हेतु निर्देशित किया था। इसके बाद भी मीट फैक्ट्री पर कार्यवाही कागजों तक सिमट कर रह गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर दी है। बताया जाता है कि पूर्व में भी कई बार मीट फैक्ट्री पर टीमें पहुंचती रहती है। फैक्ट्री से नमूने तक भरे जा चुके हैं। लेकिन, कार्यवाही शून्य ही नजर आती है।