केवट ने कराई गंगा पार

- दशरथ मरण और भरत मिलाप की लीला का मंचन
कैराना। विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भी कस्बा कैराना के श्रीगौऊशाला भवन में श्री रामलीला महोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है जिसमें रामलीला महोत्सव के दसवेंं दिन गंगा पार और दशरथ मरण भरत मिलाप की लीला का सुंदर मंचन किया गया। 
       नाट्य मंचन में सर्वप्रथम दिखाया गया कि राम लक्ष्मण सीता अपने प्रजा वासियों और मंत्री सुमंत के साथ रथ पर विराजमान होकर वनों की ओर निकल जाते हैं। रास्ते में भगवान राम प्रजा वासियों से और सुमन से वापस अयोध्या जाने के लिए निवेदन करते हैं। कि आप वापस अयोध्या चले जाओ परंतु प्रजा वासी अपनी जिद पर अड़े रहते हैं और उनकी बात नहीं मानते हैं तब रात्रि में राम जी सभी प्रजा वासियों को विश्राम करने के लिए कहते हैं। जब सभी प्रजा सो जाते हैं तो राम जी अपने मंत्री सुमंत को आज्ञा देते हैं कि सभी प्रजा वासियों को यहीं पर अकेला छोड़ दो और लक्ष्मण जी और सीता जी के साथ आगे वन की ओर गमन करते हैं। जब यह सुबह उठेंगे स्वयं ही वापस चले जाएंगे।
     मंत्री सुमंत उनकी आज्ञा का पालन करते हुए तमसा नदी के किनारे राम लक्ष्मण सीता जी को लेकर पहुंच जाते हैं तब रामचंद्र जी सुमंत जी से भी निवेदन करते हैं कि आप भी वापस अयोध्या लौट जाओ तो सुमंत जी भी रथ ले कर वापस अयोध्या लौट जाते हैं। और अयोध्या की बुरी हालत को देखकर बेहद परेशान होते हैं और महाराजा दशरथ को सारा वृतांत बताते हैं। तब सारी बातें सुनकर महाराजा दशरथ तड़प तड़प कर अपने प्राण त्याग देते हैं।
        उधर, राजा दशरथ की मृत्यु की सूचना अपने नानी के घर गए हुए भरत जी को मिलती है तो दूत भेजकर भरत जी को बुलाया जाता है जब भरत जी वापस आते हैं और उन्हें सारा मामला पता लगता है। तो वे मन ही मन बेहद परेशान होते हैं तमसा नदी के किनारे भगवान राम को केवट नामक मल्हा मिलता है। रामजी उनसे प्रार्थना करते हैं कि आप हम तीनों को अपनी नाव मे बैठाकर नदी से पार करा दो तब केवट उनसे कहता है कि आप के स्पर्श मात्र से पत्थर की भी नारी बन जाती है मेरी तो लकड़ी की नाव है। मेरी रोजी-रोटी यही है यदि आप अपने पैर धुलवाओगे तभी मैं आपको गंगा पार कर आऊंगा वहीं जब भरत जी अयोध्या पहुंचते हैं और जब उन्हें सरा प्रकरण पता लगता है तो वह वशिष्ट जी और मंत्री सुमंत्व तीनों माताओं के साथ वनों की ओर रामचंद्र जी से मिलने के लिए निकल पड़ते हैं और रास्ते में निशाच राज राजा गोह भी मिलते हैं तब सभी रामचंद्र जी से अयोध्या वापस चलने के लिए विनती करते हैं। परंतु रामचंद्र जी अयोध्या वापस नहीं जाते तो भरत कुमार कहते हैं कि जब आप वनों से वापस अयोध्या आ जाओगे उस राजगद्दी पर आप ही विराजमान रहोगे। तब तक आप मुझे अपने खड़ाऊ दे दे और रामचंद्र जी की खड़ाऊ लेकर भरत जी वापस अयोध्या पहुंच जाते हैं।
      नाट्य मंचन में राम का अभिनय रोहित, लक्ष्मण का तुषार वर्मा, सीता का सागर मित्तल, दशरथ का अमन गोयल, सुमंत का अरविंद मित्तल, केवट का राकेश सप्रेटा, सुशील सिंगल, संजू वर्मा, राजेश नामदेव, अतुल गर्ग, पंकज सिंघल, डिंपल, प्रमोद गोयल व आशु गर्ग ने किया। वही, राजा गोह का अनमोल शर्मा, केकई का सनी, कौशल्या का शिव शर्मा, सुमित्रा का धीरू, भरत का अनमोल वर्मा व शत्रुघ्न का वासु मित्तल ने किया।
        इस दौरान श्री रामलीला कमेटी कैराना के अध्यक्ष जयपाल सिंह कश्यप एडवोकेट, सभासद शगुन मित्तल एडवोकेट, डाक्टर राम कुमार गुप्ता, मनोज मित्तल, विजय नारायण,आलोक गर्ग, मोहन लाल आर्य, अभिषेक गोयल, सोनू कश्यप व सचिन शर्मा आदि मौजूद रहे l