विश्व में शनिदेव का अक्षयपुरीश्वर मंदिर दर्शनों से जहां मिलती कष्टों से मुक्ति👉 तमिलनाडु में 700 वर्ष पुराना
मंदिर, यहां पत्नियों के साथ होती पूजा
👉 भगवान शनिदेव अंक 8 के स्वामी भी हैं, 8 बार 8 वस्तुओं के साथ पूजा करके बांए से दाई ओर 8 बार की जाती परिक्रमा

👉 भारत में तमिलनाडु के पेरावोरानी के पास तंजावूर के विलनकुलम में अक्षयपुरीश्वर मंदिर है। ये मंदिर भगवान शनि के पैर टूटने की घटना से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर में शारीरिक रुप से परेशान और साढ़ेसाती में पैदा हुए लोग शनिदेव की विशेष पूजा के लिए आते हैं। यहां के प्रमुख भगवान शिव अक्षयपुरीश्वर और देवी पार्वती अभिवृद्धि नायकी के रूप में है। इनके साथ ही शनिदेव की पूजा उनकी पत्नियों के साथ की जाती है।

👉 पत्नियों के साथ होती है शनि देव की पूजा....
यहां शनिदेव की पूजा उनकी दोनों पत्नियों मंदा और ज्येष्ठा के साथ की जाती है। इन्हें यहां आदी बृहत शनेश्वर कहा जाता है। यहां साढ़ेसाती, ढय्या और शनि दोष से परेशान लोग पूजा करने आते हैं। इनके अलावा शारीरिक रूप से परेशान और वैवाहिक जीवन में दुखी लोग यहां विशेष पूजा और अनुष्ठान करवाते हैं। शनिदेव अंक 8 के स्वामी भी हैं इसलिए यहां 8 बार 8 वस्तुओं के साथ पूजा करके बांए से दाई ओर 8 बार परिक्रमा भी की जाती है।

👉 शनिदेव को मिला विवाह और पैर ठीक होने का आशीर्वाद...
पौराणिक कथा के अनुसार यहां पहले बहुत सारे बिल्व वृक्ष थे। तमिल शब्द विलम का अर्थ बिल्व होता है और कुलम का अर्थ झूंड होता है। यानी यहां बहुत सारे बिल्ववृक्ष होने से इस स्थान का नाम विलमकूलम पड़ा। यहां बहुत सारे बिल्व वृक्ष होने से उनकी जड़ों में शनिदेव का पैर उलझ गया और वो यहां गिर गए थे। जिससे उनके पैर में चोट आई और वो पंगु हो गए। 
अपने इस रोग को दूर करने के लिए उन्होंने यहां भगवान शिव की पूजा की। शिवजी ने प्रकट होकर उन्हें विवाह और पैर ठीक होने का आशीर्वाद दिया। तब से इन परेशानियों से जुड़े लोग यहां विशेष पूजा करवाते हैं।

👉 करीब 700 साल पुराना है मंदिर....
तमिलनाडु के विलनकुलम में बना अक्षयपुरीश्वर मंदिर तमिल वास्तुकला के अनुसार बना है। माना जाता है कि इसे चोल शासक पराक्र पंड्यान द्वारा बनवाया गया है। जो 1335 ईस्वी से 1365 ईस्वी के बीच बना है। करीब 700 साल पुराने इस मंदिर के प्रमुख देवता भगवान शिव हैं। उन्हें श्री अक्षयपुरीश्वर कहा जाता है। उनके साथ उनकी शक्ति यानी देवी पार्वती की पूजा श्री अभिवृद्धि नायकी के रूप में की जाती है।
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