धू धू कर जली रावण की लंका


कैराना। कस्बे की गौऊशाला भवन में श्री रामलीला महोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। जिसमें रामलीला महोत्सव के 13 वे दिन की लीला का शुभारंभ वरिष्ठ समाजसेवी प्रतीक अग्रवाल के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। वही, सीनरी मास्टर पदम सेन नामदेव जी के द्वारा बहुत सुंदर अशोक वाटिका और रावण का दरबार सजाया गया l     
  श्री रामलीला महोत्सव के प्रथम दृश्य में दिखाया गया कि हनुमान जी रामचंद्र जी और सुग्रीव जी के आदेश पर सीता जी की खोज के लिए निकल जाते हैं। जिस पर जामवंत नल नील अंगद आदि सभी हनुमान जी को याद दिलाते हैं कि आप ही एकमात्र व्यक्ति ऐसे हैं जो इस समुद्र को पार कर सकते हैं जिस पर हनुमान जी समुद्र पार करके लंका में पहुंच जाते हैं तथा सीता जी को खोजने का प्रयास करते हैं। तब उनकी मुलाकात रावण के भाई विभीषण और लंकनी नामक राक्षसनी से होती है। वह सीता जी का पता हनुमान जी को बताते हैं। जिस पर हनुमान जी सीता जी से मिलने अशोक वाटिका में पहुंच जाते हैं। वहां जैसे ही वो पहुंचते हैं इसी दौरान रावण अपनी पत्नी मंदोदरी और सेना के साथ अशोक वाटिका में पहुंच जाता है। और सीता जी को अपने महल में चलकर रहने के लिए निवेदन करता है। तथा हर संभव प्रयास करता है जिस पर सीता जी क्रोधित हो जाती है। और उसे स्पष्ट रूप से मना कर देती है तब रावण अपनी तलवार उठाता है और सीता जी को मारने के लिए दौड़ता है तो मंदोदरी उन्हें कहती है कि नारी पर अस्त्र शस्त्र उठाना अपराध है। इसे सोचने का एक मौका और दिया जाए जिस पर रावण उसे कुछ समय की मोहलत देकर मंदोदरी सहित वापस अपने महल में चला जाता है। और रावण के जाने के बाद हनुमान जी की भेंट सीता जी से होती है। और वह भगवान द्वारा दिए गए आभूषण सीता जी को दिखाते है। और उन्हें आश्वस्त करते है। कि वह रामजी के दूत है और शीघ्र ही आपको रावण के इस बंधन से श्री रामचंद्र जी मुक्त कराएंगे और सीता जी की अनुमति पाकर वहा लगे पेड़ पौधों से फल तोड़ते है। और रावण की अशोक वाटिका उजाड़ देते है। जब रावण के दरबार में अशोक वाटिका को वानर द्वारा उजाड़ने की सूचना पहुंचती है तो उसे पकड़कर लाने के लिए अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजता है। परंतु हनुमानजी अक्षय कुमार और उसकी पूरी सेना का वध कर देते हैं। जब यह सूचना रावण के दरबार में पहुंचती है। कि अक्षय कुमार को उस वानर ने मार दिया है, तो वह अपने बेटे मेघनाथ को उसे पकड़कर लाने के लिए भेजता है। तब मेघनाथ नागपाश में बांध कर हनुमान जी को रावण के दरबार में ले जाता है। जहां हनुमान जी और रावण का बहुत सवाद होता है। और रावण  को हनुमान जी बहुत समझाते हैं। कि आप सीता जी को अपने कैद से मुक्त कर दो अन्यथा तुम्हारा अंतिम समय आ गया है। परंतु अहंकारी रावण नहीं मानता है। और अपनी सेना को हनुमान जी को मारने का आदेश देता है। जिस पर विभीषण रावण से कहता है। कि यह दूत के समान है दूत का मारना नीति के विरुद्ध है। जिस पर रावण हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने का आदेश सुना देते हैं। जब हनुमान जी की पूंछ में आग लगती है तो वह रावण की पूरी लंका को जला देते हैं और वापस सीता जी के पास जाकर अपना सारा वृतांत बताते हैं। और सीता जी उन्हें अपनी चूड़ामणि देती है और कहती है। कि यह चूड़ामणि श्री रामचंद्र जी को दे देना जिससे वह समझ जाएंगे कि आपकी सीता जी से भेंट हुई है। चूड़ामणि लेकर हनुमान जी वापस समुद्र पार करके रामा दल में पहुंच जाते हैं। और रामचंद्र जी को पूरा वृतांत बताते हैं। और चूड़ामणि देते हैं तब रामचंद्र जी हनुमान जी से कहते हैं। कि आप मेरे सबसे प्रिय हैं। इसलिए आपको मुझसे जो वर मांगना है। मांग लीजिए तो हनुमान जी उनसे अपनी भक्ति का वर मांगते हैं। कि आप मुझे अपना भक्त मानते हुए स्वीकार करें और रामचंद्र जी सुग्रीव और हनुमान जी को युद्ध करने के लिए आगे की भूमिका तैयार करने के लिए आदेशित करते हैं।         
  नाट्य मंचन के दौरान राम का अभिनय रोहित, लक्ष्मण का तुषार वर्मा, सुग्रीव का रोहित नामदेव, अंगद का अमन गोयल,  हनुमान जी का आशु गर्ग, विभीषण डॉक्टर सुशील कुमार, मेघनाथ आशीष नामदेव, अक्षय कुमार, सोनू कश्यप व मंदोदरी सनी, दरबारियों का अरविंद मित्तल, राकेश गर्ग, वासु मित्तल व देव ने किया l इस दौरान मुख्य रूप से श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष जयपाल सिंह कश्यप एडवोकेट, सभासद शगुन मित्तल एडवोकेट, डॉ राम कुमार गुप्ता, रामअवतार मित्तल, आयुष गर्ग, पदमसैन नामदेव, वीरेंद्र वशिष्ठ, अमित सिंघल, राजेश नामदेव, विजय नारायण तायल, संजू वर्मा, अभिषेक गोयल, मुकेश सिंघल, सुशील सिंगल, नीटू कंसल, डिंपल, सतीश, मनोज मित्तल, अतुल गर्ग, ऋषिपाल शिरवाल व प्रमोद गोयल आदि मौजूद रहे।