श्री राम हनुमान सुग्रीव मिलाप, बाली मरण की लीला का मंचन
कैराना। विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भी श्री रामलीला महोत्सव कस्बा कैराना में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है श्री रामलीला महोत्सव के 12 वे दिन की लीला का शुभारंभ वरिष्ठ समाजसेवी और व्यापारी नेता विपुल कुमार जैन के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
        नाट्य मंचन के प्रथम दृश्य में दिखाया गया कि राम लक्ष्मण सीता जी की खोज में वनों में इधर-उधर भटक रहे होते हैं तभी उन्हें रास्ते में शिवरी नामक भक्त  मिलती है जिससे ऋषि मुनि बड़ी घृणा करते हैं परन्तु वह रामभक्त होती हैं त्तथा जो उन्हें अपने पास बैठाती है और अपने झूठे बेर खिलाती है। जब रामचंद्र जी अपनी समस्या शीवरी को बताते हैं तो वह कहती है कि यहां से कुछ दूरी पर किष्किंधा पर्वत है। वहां पर किष्किंधा के राजा सुग्रीव जी अपनी वानर सेना के साथ रहते हैं आप उनसे मिले वह आपकी मदद अवश्य करेंगे तब रामचंद्र जी और लक्ष्मण जी सुग्रीव जी के पास जाते हैं तो उनसे पहले उनके मंत्री हनुमान जी से उनकी मुलाकात होती है। और हनुमान जी को राम लक्ष्मण सारा वृतांत बताते हैं और हनुमान जी अपने कंधे पर बैठाकर राम लक्ष्मण को सुग्रीव जी से मिलाने के लिए ले जाते हैं जहां पर सुग्रीव जी उन्हें कानों के कुंडल और माता जी के आभूषण दिखाते हैं तब राम जी और लक्ष्मण जी उन आभूषणों को पहचान लेते हैं और कहते हैं कि यह सीता जी के ही आभूषण हैं तब सुग्रीव जी अपनी समस्या बताते हैं कि उनकी पत्नी का हरण उनके भाई बाली ने कर लिया है और बाली बड़ा बलशाली है तब राम जी सुग्रीव जी से कहते हैं कि आप बाली से युद्ध करो और इस बार युद्ध में आप ही जीतोगे तब बाली और सुग्रीव का युद्ध होता है तो पीछे से राम जी बाली को तीर मार देते हैं जिससे बाली की मृत्यु हो जाती है अपनी मृत्यु से पूर्व बाली राम जी से विनती करता है कि मेरे पुत्र अंगद को अपनी शरण में ले लो आप तो जगत के रचयिता हैं तब रामचंद्र जी बाली के पुत्र अंगद को अपनी शरण में ले लेते हैं वही बाली वध के बाद सुग्रीव भूल जाता है। कि उसे श्री रामचंद्र जी की मदद करनी है और वह अपनी पारिवारिक जीवन में व्यस्त हो जाता अब रामचंद्र जी सुग्रीव से पूछते हैं कि अपने पारिवारिक जीवन में व्यस्त होने के कारण आप हमारी समस्या को भूल गए हैं और यह नीति के विरुद्ध है तब सुग्रीव उन्हें माफी मांगता है और आगे सीता जी की खोजने की भूमिका बनाई जाती है जिसमें रामचंद्र जी अपनी अंगूठी देकर हनुमान जी से कहते हैं कि आप सीता जी की खोज में निकल जाओ और सीता जी को आश्वस्त करना कि वह उन्हें रावण के बंधन से जल्द ही मुक्त कराएंगे और अपनी अंगूठी देते हैं उसे देकर कहते हैं कि आप सीता जी को निशानी के तौर पर यह अंगूठी दे देना वह स्वय समझ जाएगी की आप रामा दल के ही सदस्य हैं वही सुग्रीव अपनी पूरी वानर सेना को चारों दिशाओं में सीता जी की खोज के लिए लगा देते हैं l 
        नाट्य मंचन के दौरान किष्किंधा पर्वत की सुंदर सीनरी का दृश्य सीनरी मास्टर पदम से नामदेव के द्वारा तैयार किया गया। वही, नगर पालिका परिषद कैराना के अध्यक्ष हाजी अनवर हसन की ओर से साफ-सफाई व कली चुने की व्यवस्था कराई गई। साथ ही भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहने के कारण सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल तैनात रहाl
      उधर, राम का अभिनय रोहित लक्ष्मण का तुषार वर्मा, सिवरी का राकेश गर्ग, सुग्रीव का रोहित नामदेव, बाली का अमन गोयल, तारा का शिव शर्मा, अंगद का वासु मित्तल व हनुमान जी का आशु गर्ग ने किया l दौरान मुख्य रूप से श्री रामलीला कमेटी कैराना के अध्यक्ष जयपाल सिंह कश्यप एडवोकेट, सभासद शगुन मित्तल एडवोकेट, डॉ राम कुमार गुप्ता, रामअवतार मित्तल, आयुष गर्ग, पदम नामदेव, वीरेंद्र वशिष्ठ, अमित सिंघल, आशीष नामदेव, राजेश नामदेव, विजय नारायण तायल, संजू वर्मा, अभिषेक गोयल, मनोज मित्तल, अतुल गर्ग व ऋषिपाल शिरवाल आदि मौजूद रहे।