तालाबों में धड़ल्ले से पल रहीं प्रतिबंधित मांगुर मछली


- मत्स्य विभाग के संरक्षण में एनजीटी के आदेशों की उड़ रही धज्जियां
- थाई मांगुर से पर्यावरण को खतरा, फैलती है कैंसर की बीमारी

कैराना। भारत सरकार और एनजीटी के सख्त आदेशों के बावजूद तहसील क्षेत्र में दर्जनों तालाबों में प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली के पालन धड़ल्ले से चल रहे हैं। नरभक्षी मांगुर मछली से जहां पर्यावरण प्रदूषित होता है, वहीं इसके सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी जकड़ लेती है। मत्स्य विभाग के संरक्षण में पालक लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
   नरभक्षी थाई मांगुर मछली के पालन और बिक्री पर प्रतिबंध है। इसे लेकर भारत सरकार के साथ ही राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त आदेश जारी कर रखे हैं। इसके बावजूद कैराना तहसील क्षेत्र के प्रतिबंधित थाई मांगुर का कारोबार धड़ल्ले के साथ किया जा रहा है। दर्जनों तालाब ऐसे हैं, जहां बेखौफ होकर मांगुर पालन चल रहे हैं। मत्स्य पालकों को न एनजीटी का खौफ है और न ही विभागीय कार्रवाई का कोई डर है। मत्स्य विभाग के संरक्षण में लंबे समय से फल-फूल रहे इस गोरखधंधे पर पूर्णतः प्रतिबंध नहीं रहा है। यही कारण है कि मत्स्य पालकों के हौंसले बुलंद हैं। तालाबों में थाई मांगुर मछली के पालन से उसके पालक मछली के शौकीनों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, क्योंकि मांगुर को कैंसर जैसी प्राणघातक बीमारी का कारक बताया जाता है। इसके अलावा पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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