कैराना(शामली)। प्राथमिक विद्यालय बदलूगढ़ मे विभागीय निर्देशानुसार सहायक अध्यापक मोहनजीत सिंह ने बच्चों को समझाते हुए बताया की ओरंगजेब के शासन काल मे वजीर खान की सेना गुरू गोविन्द सिंह को पकड़ने के लिए चमकौर पंजाब गयी तो गुरू गोविन्द सिंह के सबसे बड़े पुत्र अजीत सिंह और उससे छोटे झूझार सिंह ने उन्हें ललकारा और उनके साथ युद्ध करते हुए दोनों बालक वीर गति को प्राप्त हुए।
ओरंगजेब के शासन काल मे ही सरहिंद पंजाब के नवाब वजीर खां ने इनसे छोटे दो बच्चों को फिर पूछा इस्लाम कबूल करोगे, नहीं तो मार दिए जाओगे। छोटे साहिबजादे फ़तेह सिंह आयु 6 वर्ष ने पूछा अगर मुसलमान हो गए तो फिर कभी भी नहीं मरेंगे न ? वजीर खां अवाक रह गया उसके मुंह से जवाब न फूटा। तो साहिबजादे ने जवाब दिया कि जब मुसलमान हो के भी एक दिन मरना ही है तो अपने धर्म में ही अपने धर्म की खातिर क्यों न मरे।
उन्होंने आगे बताया कि साहिबजादा जोरावर सिंह उम्र महज 8 वर्ष थी। बार बार समझाने और डराने के बाद भी दोनों ने इस्लाम धर्म कबूल नही किया तो उन्हें आज के दिन जिन्दा दीवार मे चिनवा दिए गये। ईश्वर ने वजीर खाँ को चेताया और कुछ समय बाद दीवार गिर गयी। परन्तु निर्दयी और क्रूर वजीर खाँ ने दोनों बच्चों के गले रेतने का आदेश देकर दोनों का कत्ल करवा दिया। इनकी दादी माँ को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए। इसकी सूचना जब दीवान जैन टोडर मल को मिली तो उसने इनके अंतिम संस्कार के लिए चार वर्ग मीटर जगह वजीर खाँ से 78 हजार सोने के सिक्को के बदले मे खरीदी थी। ये जगह आज भी दुनिया की सबसे महंगी जगह है। और जैन टोडर मल ने तब गुरू गोविन्द सिंह को चौका दिया जब उन्होंने इसके बदले मे अपना वंश ही खत्म करने का आशीर्वाद मांग लिया। ताकि आने वाली नस्ल इसका गुणगान न करें की हमारे पूर्वजो ने ऐसा किया। इस प्रकार आज का दिन वीर बाल दिवस के रूप मे मनाया गया ।