पूर्व मंत्री सुरेश राणा समेत तीन भाजपा नेता बरी


— 2013 में हुए बवाल प्रकरण में साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने सुनाया निर्णय
— बोले पूर्व मंत्री, सपा सरकार ने लगवाया था फर्जी मुकदमा, सत्य की हुई जीत

कैराना। शामली में वर्ष 2013 में हुए बवाल प्रकरण में विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा समेत तीन भाजपा नेताओं को बरी कर दिया है। उनके खिलाफ उत्तराखंड की युवती से सामूहिक दुष्कर्म के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरने पर बैठने के दौरान हुए बवाल में मुकदमा दर्ज किया गया था। कोर्ट के निर्णय के बाद पूर्व मंत्री ने कहा कि उस समय सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने भाजपा नेताओं को डराने के लिए फर्जी मुकदमा लगाया था, यह सत्य और न्यााय की जीत हुई है।
       17 जून 2013 को शामली में उत्तराखंड के हरिद्वार की एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई थी, जिसका आरोप गैर संप्रदाय के युवकों पर लगा था। इसी वारदात के विरोध में भाजपा नेता और हिंदू संगठनों के लोगों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर शामली में शिव मूर्ति पर धरना दिया था। उस समय पथराव और आगजनी भी हुई थी और पुलिस ने लाठी चार्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने भाजपा नेता सुरेश राणा, घनश्याम पार्चा व उनके भाई राधेश्याम पार्चा के नामजद सहित अज्ञात के विरूद्ध मुकदमा दर्ज किया था। बाद में तीनों नामजद आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। मामले की सुनवाई कैराना स्थित अपर जिला सत्र न्यायालय (विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए कोर्ट) में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट के समक्ष आठ साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। मंगलवार को न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार ने दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं केे तर्क-वितर्क सुनने एवं पत्रावलियों का अवलोकन करने के पश्चात 30 पन्नों का अपना निर्णय सुनाया। कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा सहित उपरोक्त तीनों भाजपा नेताओं को बरी कर दिया है।
      वही, पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा के अधिवक्ता ठाकुर दुष्यंत सिंह, ब्रह्मपाल सिंह चौहान व शगुन मित्तल ने बताया कि अभियोजन पक्ष प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को सिद्ध नहीं कर पाया, जिस पर कोर्ट ने पूर्व मंत्री समेत तीनों को दोषमुक्त करार दिया है।
      उधर, पूर्व मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। सरकार के दबाव में प्रशासन दुष्कर्म के मामले में कार्रवाई का टालना चाहता था। इसीलिए भाजपा नेता व कार्यकर्ताओं के खिलाफ तथ्यहीन व झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए। कोर्ट ने निर्णय का वह सम्मान करते हैं। यह सत्य एवं न्याय की जीत हुई है।