मीट फैक्ट्री में धड़ल्ले हो रहा बच्चा एवं दुधारू पशुओं का कटान

- फैक्ट्री में ठेंगे पर हैं नियम-कायदे व कानून, योगी सरकर में भी कैराना की जनता को नहीं मिल रही निजात, प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड खामोश
- पशु चिकित्सक की सांठगांठ के चलते होता है प्रतिबंधित पशुओं का अवैध कटान
- प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की कैराना क्षेत्रवासियों ने मीट फैक्ट्री को बंद करने की मांग

कैराना (शामली)। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद स्लाटर हाउसों की उल्टी गिनती शुरू हुई थी लेकिन, लगभग छह वर्षों के बाद भी कैराना की जनता को मीट फैक्ट्री से निजात नहीं मिल पाई है। कस्बे में घनी आबादी के बीच मीट फैक्ट्री में मानकों को ठेंगे पर रखकर पशु चिकित्सक की सांठगांठ के चलते प्रतिबंधित पशुओं का अवैध कटान किया जा रहा है। प्रतिबंध के बावजूद बच्चा व दुधारू पशुओं का कटान भी धड़ल्ले से चल रहा है। वही, मीट फैक्ट्री से उठने वाली दुर्गंध से प्रदूषण का ग्राफ दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इससे आबोहवा के जहरीले होने के कारण सांसों पर संकट खड़ा हो गया है। इन सबके बावजूद प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आश्चर्यजनक चुप्पी साध रखी है। जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।
   आपको बता दें कि वर्ष 2017 में सूबे में भारतीय जनता पार्टी की योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद बूचड़खानों पर कार्यवाही होती नजर आई थी। उस दौरान कैराना नगर के कांधला रोड पर घनी आबादी के बीच संचालित मीम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (मीट फैक्ट्री) से भी जनता को लंबे समय बाद निजात मिलने की आस जगी थी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ है। 
          उधर, उत्तर प्रदेश में दोबारा फिर भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुमत से प्रदेश में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पुनः सरकार बनाई। और लोगों को लगा कि इस बार प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अवैध कटान को लेकर बूचड़खाना पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। परिणाम यह हुआ कि प्रदेश भर में बूचड़खाना में अवैध कटान चल रहा है जिसमें कैराना का मीम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (मीट फैक्ट्री) भी पीछे नहीं है। यहां पर प्रतिबंधित पशुओं बच्चे के साथ-साथ दुधारू पशुओं का भी कटान धड़ल्ले के साथ चल रहा है।
         इन दिनों मीट फैक्ट्री में मानकों की धज्जियां उड़ाकर बड़े पैमाने पर पशुओं का वध किया जा रहा है। इसमें बड़े पशु ही नहीं, बल्कि प्रतिबंध के बावजूद बच्चा पशुओं का भी कटान धड़ल्ले से किया जा रहा है। गंभीर पहलू यह है कि मीट फैक्ट्री में पशु चिकित्सक की उपस्थिति कागजों तक सिमट कर रह गई है। पशु चिकित्सक की अनुपस्थिति में बिना किसी जांच के मीट फैक्ट्री में कटान कार्य जारी रहता है।
          वहीं, मीट फैक्ट्री परिसर स्थापित प्लांट में हड्डियों को गलाया जाता है, जिसकी चिमनी से निकलने वाले धुएं से दुर्गंध फैल रही है और वायु प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है, जिस कारण फैक्ट्री के आस पास वाले इलाके में आबोहवा के जहरीला होने से सांस लेना भी दूभर हो गया है। इतना ही नहीं, नालियों में खून बहाये जाने से भू-जल भी प्रदूषित हो रहा है। काला पीलिया आदि जैसी घातक बीमारियों ने ठीक-ठाक लोगों को जकड़ लिया है। तथा अनेकों मौत क्षेत्र में इन गंभीर बीमारियों के कारण हो चुकी हैं। 
        यहां यह भी बताते चलें कि पूर्व में मीट फैक्ट्री में अनियमितताओं की भरमार भी रह चुकी है। मृत पशु हो या गर्भवती भैंसों के कटान हो या फिर अवशेषों को इधर-उधर फेंकने के मामले में भी फैक्ट्री चर्चित रही है। ऐसा भी नहीं है कि मीट फैक्ट्री से त्रस्त लोग चुप बैठे हो बल्कि कई बार शिकायतें भी होती रही है। कुछ परिवार तो पलायन तक को मजबूर हुए थे, जिन्होंने अपने मकानों पर बिकाऊ शब्द तक लिखवा दिया था। बावजूद इसके मीट फैक्ट्री बदस्तूर दर्द दे रही है। मीट फैक्ट्री पर प्रभावी कार्यवाही नहीं हो रही है। तमाम दुश्वारियों के बीच कैराना क्षेत्र की जनता को प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ से मीट फैक्ट्री पर कार्यवाही की उम्मीद है।
            अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन कस्बे की मीम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड कैराना (मीट फैक्ट्री) के विरुद्ध क्या कार्यवाही अमल में लाता है यह आने वाला समय ही बताएगांं जो समय के गर्भ में छिपा है।