बेटी की हत्या में पूर्व जिपं सदस्य को आजीवन कारावास
- 2019 में झिंझाना क्षेत्र में गला घोंटकर की गई थी हत्या
- एडीजे ने दोषी पर 15 हजार रुपए का लगाया अर्थदंड
कैराना। झिंझाना क्षेत्र में मां-बेटी की हत्या करने के मामले में अपर जिला सत्र न्यायाधीश ने पूर्व जिला पंचायत सदस्य को दोषी करार दिया है। न्यायालय ने दोषी को आजीवन कारावास और 15 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। जबकि मुकदमे की सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त की मौत हो गई थी।
   जिला शासकीय अधिवक्ता संजय चौहान, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संजय पूनिया व विशेष लोक अभियोजन सतेंद्र धीरयान ने बताया कि दो जनवरी 2019 की रात को झिंझाना थाना क्षेत्र के कस्बा बिडौली के मोहल्ला हरिनगर निवासी कमला (50) पत्नी स्वर्गीय सहन्सर पाल व उसकी बेटी सोनू (23) की जूतों के फीते से गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद हत्यारे दोनो मां-बेटी के शवों को बोरों में भरकर जंगल में फेंकने जा रहे थे, तभी लोगों को आता देख रास्ते में ही फेंक दिए गए थे। घटना के संबंध में कमला के भतीजे सतेंद्र उर्फ डब्बू पुत्र ओमपाल ने झिंझाना थाने पर अज्ञात हत्यारोपियों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस की जांच के दौरान पता चला था कि झिंझाना क्षेत्र के मछरौली गांव निवासी डॉ. सुधीर कुमार पुत्र राममेहर कमला के बेटी सोनू के साथ शादी करने का दबाव बना रहा था, जिसका दोनों मां-बेटी ने विरोध किया था। इसी से नाराज होकर हत्याकांड को अंजाम दिया गया। हत्या करने के बाद शव छिपाने की योजना थी। दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने डॉ. सुधीर व उसके साथी सुनील पुत्र नरेश निवासी किरठल थाना रमाला जनपद बागपत को गिरफ्तार कर सक्षम न्यायालय में पेश किया था, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया था। मामले में पुलिस ने विवेचना करने के पश्चात आरोप-पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान सुनील की मौत हो गई थी। अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में दस गवाह पेश किए गए। यह मामला कैराना स्थित न्यायालय अपर जिला सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार के यहां विचाराधीन चल रहा था। शनिवार को मामले में न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है।
      विद्वान न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार ने दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के तर्क-वितर्क सुनने व पत्रावलियों का अवलोकन करने के बाद अभियुक्त डॉ. सुधीर कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 / 34  मे दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 10 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा नहीं करने पर 1 वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतने का प्रावधान किया। तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 201 मे 3 वर्ष के कठोर कारावास तथा 5 हजार रूपये के अर्थदंड के सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा नहीं करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतने का प्रावधान किया गया है। दोषी डॉ. सुधीर कुमार पूर्व जिला पंचायत सदस्य हैं।