चेहल्लुम पर शिया सोगवारों ने निकाला ताजिया जुलूस


- सोगवारों ने या हुसैन की सदा की बुलंद, की गई मातमपुर्सी
कैराना। कस्बे में शोहदा-ए-कर्बला की चेहल्लुम पर शिया सोगवारों ने ताजिया जुलूस निकाला। इस दौरान सोगवारों ने या हुसैन की सदा बुलंद करते हुए मातमपुर्सी की गई।
   शनिवार को शोहदा-ए-कर्बला की चेहल्लुम पर नगर मोहल्ला अंसारियान में स्थित इमाम बारगाहों व अजाखानों में शिया सोगवारों द्वारा मजलिसों का आयोजन किया गया। इमाम बारगाह खुर्द में मौलाना रहीस-उल-हसन ने खिताब करते हुए कहा कि कर्बला की जंग हक व बातिल के दरम्यान थी और यजीद हलाल को हराम व हराम को हलाल करना चाहता था। लेकिन हुसैन ने ऐसा नहीं होने दिया।
       इमाम बारगाह कलांं में शब्बीर अली वारसी कहा कि आज सैय्यदा जैनब, इमाम हुसैन, अब्बास अली, अकबर अली समेत 72 शोहदा का चेहल्लुम मनाई जा रही है।
    सरवर हुसैन व अज़ादार हुसैन के अजाखाने में खिताब करते हुए मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन ने कुर्बानी देकर नाना रसूल का दीन बचाया। इसके बाद शिया सोगवारों द्वारा इमाम बारगाह खुर्द से ताजिया अलम व जुलजन्हा का जुलूस मातमदारों के साथ में सिदरयान से होता हुआ इमाम बारगाह कला के चौक पर पहुंचा। 
      वही, दूसरा जुलूस इमाम बारगाह कला से मर्सिया वसी हैदर साकी व हमनवां के साथ इमाम बारगाह के चौक कर्बला पहुंचा। जहां जायरीन व अकीदतमंदों ने अलमों के दर्शन किए तथा मातम किया। जुलूस में कौसर जैदी, अमीर हैदर, कुर्रतुल ऐन मेहदी, गुलजार अली, मौ आगाज, जाफर सुल्तान आदि ने नोहाख्वानी की। इससे पूर्व देर रात भी सोगवारों द्वारा ताजिया जुलूस निकाला गया था। 
     इस दौरान सैय्यद अली हैदर, जावेद रजा, काजिम हुसैन, शाह रजा, चांद मियां, जर्रार हुसैन, रजी हैदर, शबाब हैदर, बुंदन मियां, नासिर हुसैन, रईस हैदर, मुमताज अली, मेहरबान अली, डॉ फरहत जैदी, अख्तर हुसैन, अजहर हुसैन, मोहसिन हुसैन, आदि मौजूद रहे।
       बता दे कि मैदान ए करबला में शहीद हुये हजरत इमाम हुसैन व उनके 72 अनुयायियाे की शहादत के चालीस दिन बाद शिया साैगवाराें द्वारा चेहल्लूम मनाया जाता है। हजरत इमाम हुसैन ने मानवता के लिये यजीदीयाें की यातनाए सही,आेर शहादत कबूल कर के दुनिया काे एक पैगाम दिया। कि शहादत माैत नही जाे दुश्मन की तरफ से हम पर लादी जाती है। बल्कि एक मनचाही माैत है,जिसे शहीद मानवता के लिये खुद चुनता है। जिन्हाेने इसानियत काे बचाने के लिये अपने घर व खानदान वालाे के साथ कुर्बानी दी थी। इसमे मर्द,बुढे व दुधमुहे बच्चे भूखे प्यासे शहीद हाे गये थें उन्ही की याद में चेहल्लुम मनाया जाता है। 
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