हिंदू—मुस्लिम सौहार्द की अनूठी मिसाल है काल जुलूस
👉 श्रीरामलीला महोत्सव के चलते जुलूस का आयोजन सोमवार को, युवा लेते हैं आनंद

कैराना (शामली)। नगर में श्रीरामली महोत्सव के चलते काल का जुलूस हिंदू—मुस्लिम सौहार्द की अनूठी मिसाल है। पारंपरिक तरीके से निकाले जाने वाले इस जुलूस में दोनों समुदाय के लोग शामिल होते हैं और काल से मार खाकर आनंद लेते हैं। इस बार काल जुलूस सोमवार को निकाला जाएगा।
           दानवीर कर्ण की नगरी कैराना में श्रीरामलीला महोत्सव का आयोजन बड़े ही धूमधाम से होने जा रहा है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सोमवार को पूजा—अर्चना के उपरांत काल का जूलूस निकाला जाएगा। काल बना व्यक्ति अपने हाथों में लकड़ी की तलवार लिए हुए होता है, जिसके पीछे भारी संख्या में हिंदू—मुस्लिम समुदाय के युवा दौड़ते हैं तथा काल जुलूस का भरपूर आनंद लेते हैं। काल युवाओं के ऊपर लकड़ी की तलवार से वार करता है। बताया जाता है कि कोई भी काल की मार का बुरा नहीं मानता, बल्कि हिंदू समुदाय के लोग तो काल की तलवार की मार प्रसाद समझकर सहन करते है। काल को बाजार में दुकानदार इनाम के तौर पर रुपये भी देते हैं। इसके बाद रामलीला कमेटी के लोग काल को कटेहरा धर्मशाला में बंद कर देते हैं और जुलूस का समापन हो जाता है।
———
क्या है काल जुलूस ?
जुलूस के दौरान एक व्यक्ति पूरी तरह से काले रंग में रंगा होता है, जो नगर में पैदल घूमता है और कभी दौड़ लगाता है। उक्त व्यक्ति को ही काल का नाम दिया जाता है।
———

पिछले साल जुलूस में हुआ था बखेड़ा
करीब एक वर्ष पूर्व जुलूस के दौरान काल ने कुछ व्यक्तियों को लकड़ी की तलवार मार दी थी, जिसके बाद मार खाने वाले हिंदू समुदाय के तीन लोगों ने हंगामा कर दिया था। बाद में कमेटी के लोगों ने काल को पकड़कर गौशाला भवन के अंदर बंद कर दिया था। मामला पुलिस तक पहुंचा था। तीनों लोगों ने काल का अभिनय करने वाले व्यक्ति पर गलत तरीके से मारपीट करने का आरोप लगाया था। जबकि काल का अभिनय करने वाले व्यक्ति ने भी मारपीट करने का आरोप लगाया था। मामले में कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था।
.........................