सिया के हुए राम श्री राम विवाह पर पुष्प वर्षा


कैराना। विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भी कस्बा कैराना के श्रीगौऊशाला भवन में श्री रामलीला महोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है इसमें श्री रामलीला महोत्सव के छठे दिन की लीला का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाहक कुलदीप सिंह के द्वारा दीप प्रचलित कर किया गया। और श्री राम विवाह की लीला का मंचन किया गया।
         प्रथम दृश्य में दिखाया गया कि मिथिलापुरी के राजा जनक अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर के आयोजन की घोषणा करते हैं और इसकी मुनादी करने के लिए वह अपने कर्मचारियों को भेजते हैं जिस पर उनके कर्मचारी दूर-दूर क्षेत्र में इसकी मुनादी करता है कि राजा जनक ने घोषणा की है कि जो भी शंकर भगवान का शंभू चाप तोड़ेगा राजा जनक अपनी पुत्री सीता का विवाह उसी के साथ करेंगे जिस पर दूर-दूर के राजा सीता स्वयंवर में पधारते हैं।
       वही, सीता स्वयंवर में रावण भी आता है तब वहां पर उसका युद्ध वनसुर से होता है और आकाशवाणी होती है कि तुम्हारी बहन कुंभनी को मयदानव उठा कर ले जा रहा है और रावण को कपट के साथ विष्णु भगवान वहां से वापस भेज देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि रावण एक ऐसा ताकतवर राजा है जो शंकर भगवान का भक्त है और इस शंभू चाप को तोड़ सकता है। बड़े-बड़े राजा महाराजा योद्धा शंभू चाप को हिला नहीं पाते हैं जिस पर सीता जी बेहद परेशान होती है और क्रोधी राजा जनक जी भड़क जाते हैं वहीं जनक जी को क्रोधी देख लक्ष्मण जी को भी गुस्सा आ जाता है और वह जनक को कहते हैं कि जहां सूर्यवंश के दो-दो धनुषधारी बैठे हो इस तरह से योद्धाओं का अपमान करना बिल्कुल उनका अपमान है और विश्वामित्र जी श्री रामचंद्र जी को शंभू चाप तोड़ने के लिए आदेश देते हैं। जिस पर श्री रामचंद्र जी शंकर भगवान के शंभुचप को तोड़ देते हैं और उसे पर चिल्ला चढ़ा देते हैं उसके उपरांत श्री रामचंद्र जी और माता सीता का विवाह होता है।
          वही, शंभू चाप टूटने पर क्रोधित परशुराम जी स्वयंवर में पहुंच जाते हैं और जनक से शंभुचाप तोड़ने वाले उनके दुश्मन के बारे में पूछते हैं उस पर लक्ष्मण जी परशुराम जी की मजाक बनाते हैं और उन्हें और अधिक गुस्सा आ जाता है जिस पर लक्ष्मण जी और परशुराम जी का संवाद होता है तब रामचंद्र जी उन्हें समझने का प्रयास करते हैं। परंतु वह श्री रामचंद्र जी से कहते हैं कि यदि तूने मेरे इस धनुष पर चिल चढ़ा दिया तो मैं मान जाऊंगा कि तू नारायण का अवतार है। तभी श्री रामचंद्र जी उसे पर चिल्ला चढ़ा देते हैं और परशुराम जी श्री रामचंद्र जी से माफी मांगते हैं।             
   श्री रामचंद्र जी का अभिनय सतीश प्रजापत, लक्ष्मण जी का अभिनय राकेश प्रजापत, सीता जी का अभिनय शिवम गोयल, जनक जी का रिशिपाल शेरवाल, मुनादी करने वाले का अभिनय पंडित वीरेंद्र वशिष्ठ, सखी का अभिनय सागर मित्तल व शिव शर्मा देश देश के राजाओं का अभिनय प्रिंस सिंगल, राकेश सेपरेटा, आर्यन, सूरज वर्मा, अंकित, सुशील, शिवम व रवि आदि ने किया। 
       इस दौरान जयपाल कश्यप एडवोकेट-अध्य्क्ष व
आलोक गर्ग महासचिव, सभासद शगुन मित्तल एडवोकेट, आलोक चौहान एडवोकेट, डाक्टर राम कुमार गुप्ता, पंडित मोहित शर्मा, रोहित बछास, डॉक्टर सुशील, सोनू कश्यप, आशु गर्ग, शिवम गोयल, ऋषिपाल, सागर मित्तल, प्रमोद गोयल, सोनू नेता, राकेश वर्मा, अनिल मित्तत, संजीव जैन, दामोदर सैनी, सूरज वर्मा, अतुल गर्ग, पंकज सिंघल, संजू वर्मा, राकेश गर्ग, मोहन लाल आर्य, विजय नारायण, राकेश वर्मा, सतीश कुमार, अभिषेक गोयल, राकेश, अंकित, अमित, राजेश नामदेव, डिंपल अग्रवाल, आशीष सैनी आशीष नामदेव, रवि नामदेव, सुशील सिंघल, अश्वनी सिंघल, डॉक्टर सुशील, अरविंद मित्तल, नीरज गर्ग, तुषार वर्मा, सूरज वर्मा अभिषेक शर्मा अनमोल निक्की सचिन शर्मा, गौरी नामदेव, शिव व अमन गोयल आदि मौजूद रहें। 
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