जहांं अभिमान होता है वहा भगवान वास नहीं करतेः ब्रह्म स्वरूपानन्द
- गांव डुंडूखेड़ा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन महाराज ने किये प्रवचन
- गोपियों व कान्हा का मथुरा जाने पर हुआ संवाद 
कैराना। श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन ब्रह्म स्वरूपानन्द महाराज ने बताया कि जिसके पास छह भव होते है उसे भगवान कहते है। जो मनुष्य भगवान का चिंतन करते है ओर भजन करते है भगवान भी उनका उतना ही ध्यान रखते है। कान्हा का मथुरा जाना ओर यशोदा व कान्हा के संवाद में कथा सुन रहे श्रद्धालुओं की आँखे नम हो गई।
       रविवार को कांधला क्षेत्र के गांव डुंडूखेड़ा में स्थित शिव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन स्वामी विशुद्धानन्द महाराज के परम शिष्य स्वामी ब्रह्म स्वरूपानन्द महाराज ने अपनी अमृतवाणी करते हुवे बताया की सनातन धर्म में एकादशमी का व्रत रखना चाहिए। गोपिया श्री कृष्ण से कहती है अब हम वापस नहीं जायेगे, हम तो आप में विलीन होना चाहते है। भगवान कृष्ण ने कहा नहीं आप सभी को वापस जाना पड़ेगा। 
       वही, महाराज जी ने बताया कि जहाँ अभिमान होता है वहा भगवान नहीं होते। भगवान कहते है जो मुझे भजते है में उनको भजता हूं। अखरूर जी श्री कृष्ण से मिलने गोकुल में पहुंच जाते है। भगवान श्री कृष्ण व बलाराम ने अखरूर जी को प्रमाण किया ओर कहा काका आज कैसे आना हुआ। अखरूर ने कहा कान्हा मथुरा मत आना वरना कंश आपको मरवा देंगे। कान्हा के मथुरा जाने को सुनकर गोकुल वासियो कि आँखो में आँशु आ गए। यशोदा कान्हा से कहती है, कान्हा तुम वापस आओगे ना, कान्हा कहता है हा माँ केवल दो दिन कि ही तो बात है। यशोदा ओर कान्हा का संवाद सुनकर कथा श्रवण कर रहे श्रद्धालुओं कि आँखे भर आयी।कान्हा मथुरा पहुंच जाते हो ओर शहर में भ्रमण करने के लिए निकल पड़ते है। मथुरावासी कान्हा को देख रहे है ओर उनके नाम कि चर्चा कर रहे है। इस दौरान क्षेत्र के गांव व दूरदराज से शिव मंदिर में आये सैकड़ों महिला-पुरुष श्रद्धालुओ ने कथा श्रवण की।

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