280 बच्चों की शिक्षा का खर्च उठा रहे हाजी नसीम मंसूरी


👉 खुद कम पढ़ने-लिखने का मलाल, इसलिए अंजुमन बनाकर गरीबों की मदद का कर रहे काम
कैराना (शामली)। कहते हैं कि मंजिल पाने के लिए सीढ़ियों से होकर गुजरना पड़ता है। यदि सीढियां कमजोर हों, तो मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं। मन में कुछ कर-गुजरने की इच्छाशक्ति तो है, लेकिन मुफलिसी उनकी राह में दुश्वारियां बनी है। ऐसे में कैराना के प्रमुख समाजसेवी हाजी नसीम मंसूरी निर्धन और गरीब बच्चों का सहारा बने हैं। वह अपने खर्च पर 280 बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं। उनका मानना है कि बच्चे शिक्षित होंगे, तो हमारा देश महान होगा।
     हाजी नसीम मंसूरी कैराना के मोहल्ला आलकलांं हाल निवासी मोहल्ला जोड़वा कुआं के रहने वाले हैं। उनकी कॉस्मेटिक और कपड़े की दुकान है। उन्होंने पवित्र कुरआन और अरबी की पढ़ाई की, लेकिन आधुनिक शिक्षा नहीं लेने का उन्हें आज भी मलाल है। इसीलिए, उन्होंने समाज में गरीबी की वजह से शिक्षा से पिछड़े बच्चों को शिक्षित बनाने की ठान ली। वर्ष 2000 के बाद से उन्होंने घर-घर जाकर गरीब परिवारों और बच्चों से मुलाकात करनी शुरू कर दी। हाजी नसीम बताते हैं कि उनके खर्च पर वर्तमान में 280 बच्चे एवरग्रीन स्कूल, एनएन इंटर कॉलेज, भास्कर इंटरनेशनल स्कूल आदि में पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें हिन्दू-मुस्लिम बच्चे शामिल हैं। कुछ बच्चे ऐसे हैं, जो बीएससी, एमए, बीए आदि की पढ़ाई कर रहे हैं। एक सब्जी विक्रेता के बेटे ने बीएससी की पढ़ाई की, तो अब वह कोचिंग देकर अपने परिवार का सहारा बना है। स्कूल-कॉलेज भी फीस में रियायत कर सहयोग कर रहे हैं।
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👉 हजारों परिवारों की मदद, कई को बनाया आत्मनिर्भर
हाजी नसीम मंसूरी ने वर्ष 2015 में अंजुमन खिदमत-ए-खल्क के नाम से संस्था की स्थापना की। अंजुमन से करीब 400 सदस्य जुड़े हैं, जो प्रतिमाह मदद करते हैं। हाजी नसीम बताते हैं कि करीब 50 गरीब महिलाओं को उन्होंने सिलाई मशीन दी, जिससे वह आत्मनिर्भर बनकर परिवार चला रही हैं। इसके अलावा वह लॉकडाउन व रमजान के अलावा आम दिनों में हजारों परिवारों को राशन दे चुके हैं। 2023 में ही वह 864458 रुपए मदद में लगा चुके हैं। हाजी नसीम का कहना है कि उनका उद्देश्य खिदमत करना है, इसीलिए वह फोटोग्राफी से परहेज करते हैं, ताकि कोई रूसवा न हो।
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👉 गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज
बीमार लोगों की मदद भी हाजी नसूम मंसूरी करते हैं। वह बताते हैं कि अब तक दर्जनों लोगों का निःशुल्क ऑपरेशन करा चुके हैं। इसमें शामली के प्रसिद्ध डॉ. खुर्शीद अनवर, डॉ. अकबर खान, डॉ. कुंवर महबूब, डॉ. सलीम जावेद आदि भी भरपूर मदद करते हैं।
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👉 लावारिस शवों के भी बने वारिस
जिले में कई बार लावारिस शवों की शिनाख्त नहीं हुई, तो अंजुमन आगे आई। अंजुमन की ओर से तीन लावारिस शवों को भी दफनाया गया।
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