शेरी महफ़िल की अध्यक्षता पूर्व चेयरमैन राशिद अली ने तथा कुशल संचालन उस्मान उस्मानी ने किया। शेरी महफ़िल का आग़ाज़ कारी मुज़म्मिल की नाते पाक से हुआ। हैदराबाद से आई शायरा महक़ कैरानवी तथा आरिफ़ सैफ़ी का फ़ूल मालाऐं पहनाकर स्वागत किया गया।
शायरों ने अपने-अपने उम्दा शेर सुना कर महफ़िल को रौनक बक्शी तथा आने वाले श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, हैदराबाद से आई शायरा महक़ कैरानवी तथा शायर आरिफ़ सैफ़ी ने अपनी शायरी सुनाई और वाह-वाही बटोरी तथा एक से बढ़कर एक कलाम पेश किए। महक़ कैरानवी की शायरी को बहुत सराहा गया।
महफ़िल में स्थानीय शायरों सलीम डूंडूखेडवी, अंसार अहमद सिद्दीकी,उस्मान उस्मानी,हाजी अकबर अंसारी, शकील अहमद शकील,अनीस ज़िगर,सलीम अख्तर फ़ारुकी,इरशाद खान, मास्टर अतीक शाद व दिलशाद खां आदि ने अपने-अपने शेर सुना कर वाहवाही बटोरी।
अंत में पूर्व चेयरमैन राशिद अली ने उर्दू के हवाले से कहा कि इन महफ़िलों के सहारे ही आज उर्दू भाषा जीवित है। शेरी महफ़िल को रौनक और कामयाब बनाने में हसीन सिद्दीकी,मोईनुद्दीन अंसारी,वरीस अहमद, इसरार खान व दिलशाद खां आदि का सहयोग रहा।
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