छठवीं महाना शेरी नशसित का किया गया आयोजन

कैराना(शामली)। अंजुमन गुलसितान ए उर्दू अदब की ओर से गत रात्रि नगर के मौहल्ला अफगानान स्थिति हाजी ज़फ़र ख़ान बेट्री वाले निवास स्थान पर छठवीं महाना शेरी नशसित का आयोजन किया गया। जिसमें नगर एवं बेरुनी शायरों ने भाग लिया। नशसित का आगाज़ ज़ैद ख़ान की तिलावत से तथा कारी मुदस्सिर व कारी मुज़म्मिल की नाते-ए-पाक से हुआ। महफ़िल की अध्यक्षता शकील अहमद शकील ने की ‌  तथा संचालन मास्टर अतीक शाद ने किया। नशसित में आये मौलाना वासिल भूरा वालों ने उर्दू के हवाले से प्रकाश डाला। 
 
👉 महफ़िल के रुह रवां शायर डॉक्टर सलीम अख्तर फ़ारुकी ने अपना शेर कुछ यूं पढ़ा,
         इतना कमज़र्फ़ है तू मुझको ये मालूम ना था, 
          ग़म गुसारी का तेरे शहर में दस्तूर नहीं।

👉 उभरते हुए शायर अब्दुल्ला सादिक ने अपना शेर कुछ यूं पढ़ा,
       जो ना देखा था कभी हमने वो मंज़र देखा,
        कत्ल इंसाफ़ का होते हुए रहबर देखा।
 
👉 उस्ताद शायर जनाब आरिफ़ ख़ान कमर पढ़ा,
        हक ने नबी से ये मेराज में कहा,
    उममत पे तेरी आतिश ए दोज़क हराम है। 

👉 युवा शायर जनाब फ़िरोज़ ख़ान ने अपना शेर कुछ यूं कहा,
        कभी अपनो कभी गे़रों ने लूटा,
      वतन को मुख्तलिफ चेहरों ने लूटा।
दिल्ली से आये शायर जनाब आस मौहम्मद फ़ैज़, साहिब ए दीवान शकील अहमद शकील,सुहैल अहमद, आशिक कैरानवी,नफ़ीस अहमद, गुलज़ार नज़र, आमिल हसन डूडूखेडवी, सलीम जावेद आदि ने अपनी शायरी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
        जमीयत के महासचिव मौलाना वासिल भूरा वालों ने उर्दू के बढ़ावा देने हेतु अपने सम्बोधन में कहा कि आज अगर उर्दू ज़बान जि़ंदा है तो वह बस इन उर्दू नशसतों से रह गई है उन्होंने कहा कि आप अपने बच्चों को दीनी तालीम के साथ साथ उर्दू की पढ़ाई करायें। 
      वहीं, उन्होंने अंजुमन गुलसितान ए उर्दू के सभी सदस्यों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि आपने जो कदम उठाए हैं उर्दू को फ़रोग देने के लिए में आपके साथ कांधे से कांधा मिला कर हर समय साथ रहूंगा।
         शेरी महफ़िल को कामयाब बनाने में कारी मोहम्मद साद मदरसा ज़ाहिदया मौलाना मौहम्मद कासिम, चौधरी मौहम्मद नासिर फ़ैजे ए कामिल भूरा, मदरसा ज़ाहिदया फ़ैज़ ए कामिल भूरा के कन्वीनर एवं जमीयत यूथ क्लब एवं महासचिव दीनी तालीम बोर्ड कैराना शामली ने आगामी स्वतंत्रता दिवस को लेकर कहा कि मुजाहिदीन-ए-जंग-ए- आजादी की कुर्बानियों पर रोशनी डाली। 
      वहीं, मदरसा के छात्र मज़ाहिर हसन ने 15 अगस्त के अनुवान से सम्बंधित तराना पेश किया।अबु साद,असद,समरयाब,सुहैल आदि मौजूद रहे। अंत में ज़फ़र ख़ान ने नशसित में आये सभी शायरों व श्रोताओं का शुक्रिया अदा किया। नशसित में मात्र एक कवि दीपक कश्यप ने भी अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया और वाह वाही बटोरी। वहीं अंजुमन गुलसितान ए उर्दू अदब के सभी सदस्यों ने शिरकत की तथा इस माह होने वाली नसिशत का ऐलान किया जो कि 15 अगस्त को होगी। नशसित रात्रि 9 से रात्रि 2 बजे तक बुंलदियों को छूते हुए चली। वहीं अंजुमन गुलसितान-ए-उर्दू-अदब के सतून नवेद अहमद अय्यूबी ने भी उर्दू अदब से सम्बंधित अपने विचारों से अवगत कराया।
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