कलम के सहारे देश में प्रतिभा बिखेर रहे हैं शामली जनपद के दो लेखक
👉 आचार्य अशवनी की दो व प्रवीण तरार की अनगिनत रचनाएं प्रकाशित
नीलम पब्लिकेशन मुम्बई द्वारा प्रकाशित सांझा संकलन "तिरंगे के नाम कलम का सलाम" पुस्तक प्रकाशित हुई हैं जिसमें शामली के गांव सिलावर निवासी प्रवीण तरार की इसमें दो रचनाएं 1- नमन 2- तिरंगे की छाया प्रकाशित हुई है। इन रचनाओं के लिए गोल्ड मैडल, ट्राफी व प्रशस्ति पत्र मिला है। इस से पूर्व ग़ज़ल संग्रह "जज़्बात ए इश्क" में संपादक के रूप में काम किया ओर इनकी दो ग़ज़लें 1-  चांद जमीं पे 2- चिराग-ए-दिल भी प्रकाशित हुई हैं।  
        वहीं, नीलम पब्लिकेशन मुम्बई द्वारा प्रकाशित सांझा संकलन जज़्बात-ऐ-इश्क में जनपद के ही सींगरा निवासी आचार्य अशवनी भारद्वाज की दो रचनाएं दर्द और इश्क प्रकाशित हो चुकी हैं। उसके पश्चात श्रमिक मजबूर या मजदूर काव्य पुस्तक प्रकाशित हुई जिसमें दो रचनाएं 1- मेहनतकश 2- मजबूर प्रकाशित हुई। इन रचनाओं के लिए पब्लिकेशन द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त हुआ है।
      नीलम पब्लिकेशन मुम्बई द्वारा सांझा काव्य संकलन में "बेपनाह इश्क " "चन्द्रयान चांद के पार चलो" "शान ए तिरंगा " "एहसास ए मोहब्बत" "अबकी होली राम लला संग" एहसास ए मोहब्बत में दो ग़ज़ल लिखने के साथ ही संपादक के रूप में काम किया। 
     इंकलाब पब्लिकेशन मुम्बई की सांझा काव्य संकलन "प्रेम पुष्प " "रूह तक "में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है। प्रवीण तरार की "बेवफा जिंदगी"जो एक ग़ज़ल संग्रह है प्रकाशित हो चुकी है। गीत,ग़ज़ल, कविताएं लिखने के साथ ही आर डी इंटर कालेज सिक्का सिलावर के प्रबंधक के रूप में सफलता पूर्वक अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
     पूर्व में नीलम पब्लिकेशन मुम्बई द्वारा प्रकाशित सांझा संकलन "बेपनाह इश्क" में प्रकाशित दो रचनाएं प्रकाशित हुई थी। उन रचनाओं "प्यार के रंग" व "इश्क-ए-दरिया" को श्रेष्ठ  चुने जाने पर प्रवीण तरार को श्रेष्ठ लेखक के खिताब के रूप ट्राफी देकर सम्मानित किया गया था । प्रवीण तरार संपादक/लेखक के रूप में गीत , ग़ज़ल, कविताएं लिख कर गांव के साथ ही जनपद शामली का नाम भारत के कोने-कोने तक रोशन कर रहे हैं।
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