कैराना (शामली) मां शाकुम्भरी विश्वविद्यालय, सहारनपुर के राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के तत्वावधान में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर विमला वाई.की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में रविवार को भारत में महिला सशक्तिकरण-दशा एवं दिशा विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबीनार में कुल सचिव मां शाकंभरी विश्वविद्यालय सहारनपुर वीरेंद्र कुमार मौर्य द्वारा स्वागत संबोधन किया गया। कार्यक्रम का संयोजन वेबिनार संयोजक डॉ भूपेन्द्र कुमार, कार्यक्रम समन्वयक राष्ट्रीय सेवा योजना मां शाकुम्भरी विश्वविद्यालय सहारनपुर द्वारा तथा तकनीकी संचालन आयोजन सचिव डॉ डॉली एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी विजय सिंह पथिक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कैराना शामली द्वारा किया गया।
वेबिनार में आमंत्रित श्री समरदीप सक्सेना, क्षेत्रीय निदेशक राष्ट्रीय सेवा योजना क्षेत्रीय निदेशालय लखनऊ युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार ने कहा कि महिलाएं प्रत्येक अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा होती है। किसी भी राष्ट्र का सर्वांगीण विकास तभी संभव हो सकता है जब आधी आबादी की विकास की प्रक्रिया में समान भागीदारी हो।
डॉ मंजू सिंह, विशेष कार्याधिकारी एवं राज्य संपर्क अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की महत्वाकांक्षा रखता है जिसके लिए महिलाओं का सशक्तिकरण केंद्रीय भूमिका में होना चाहिए क्योंकि महिला सशक्तिकरण एवं सामाजिक - आर्थिक विकास सहगामी हैं। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा,नीतियों और कानूनों का प्रभावशाली क्रियान्वयन कर महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया को त्वरित किया जा सकता है।
वेबिनार की मुख्य वक्ता डॉ ऋचा शर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान किशन लाल पब्लिक कॉलेज रेवाड़ी हरियाणा ने अपने वक्तव्य में महिलाओ के सामाजिक, आर्थिक सशक्तिकरण के लिए उपलब्ध प्रमुख संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी देते हुए, विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, महिला ई-हाट, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि हमें केवल सिर्फ अपनी लड़कियों को शिक्षित करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि लड़कों को भी यह सिखाने की आवश्यकता है कि वे लड़कियों को समान अवसर दें तथा उनकी बराबर भागीदारी सुनिश्चित करें। कामों को बराबर बांटा जाए चाहे वो रोजगार हो या घर। उन्होंने कहा कि सशक्तिकरण का अर्थ केवल नौकरी कर पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलना ही नहीं बल्कि सशक्तिकरण का वास्तविक अर्थ है निर्णय लेने की स्वतंत्रता तथा समान अवसर की उपलब्धता। जहां संविधान महिलाओं को समानता देने के प्रावधान करता है, वही समाज और पितृसत्तात्मक सोच को बदलकर संविधान के प्रावधानों यथार्थता प्रदान करने की आवश्यकता है। तत्पश्चात उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए आधारभूत आवश्यकता है सामाजिक एवं मानसिक बदलाव लाने की। साथ ही तकनीकी शिक्षा का ज्ञान बढ़ाकर श्रम में उनकी भागीदारी बढ़ाकर महिलाओ के आर्थिक स्वावलंबन की राह मजबूत की जानी चाहिए, क्योंकि उसी से वो पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर मजबूत कदम आगे बढ़ा पाएगी। आधी आबादी को पीछे छोड़कर कोई राष्ट्र विकसित नहीं बन सकता। महिला सशक्तिकरण ही विकसित भारत का सपना पूरा करने का साधन है।
अंत में उन्होंने वेबिनार में भाग ले रहे छात्र एवं छात्राओं के प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं को ध्यानपूर्वक सुनकर उनकी जिज्ञासाओं,शंकाओं का समाधान किया गया। वेबिनार के अंत में डॉ भूपेन्द्र कुमार एवं डॉ डॉली द्वारा सभी के प्रति आभार प्रकट किया गया। वेबिनार में डॉ वर्चसा सैनी, डॉ सुनील, डॉ कावेंद्र कुमार आदि कार्यक्रम अधिकारियों एवं अनुज तथा जनपद शामली मुजफ्फरनगर तथा सहारनपुर के विभिन्न महाविद्यालय के एनएसएस स्वयंसेवकों एवं स्वयंसेविकाओं द्वारा सहभागिता की गई।
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