शामली: कैराना एवं ग्रामीण क्षेत्र में संचालित जनसेवा केन्द्र शासन-प्रशासन के द्वारा नियुक्त मानकों की खुले आम धज्जिया उडा रहे है। गांव के लिये नियुक्त जनसेवा केन्द्र नगरीय क्षेत्रो के प्रमाण पत्रों को आवेदन कर धडल्ली से प्रमाण पत्र जारी कर रहे है। जिसे लेकर प्रशासन भी मूकदर्शक बना हुआ है।
बता दे कि नगर व ग्रामीण क्षेत्र में आमजन को सरकारी योजनाओं का लाभ जन-जन तक सुलभ कराने के लिए जन सुविधा केंद्रो (जनसेवा केन्द्रो) को खोलने का निर्णय लिया गया था। जिला ई-गवर्नेंस सोसाइटी (डीईजीएस) ने कैराना नगर के समस्त 25 वार्डों में इतने ही जनसेवा केन्द्रों को स्वीकृत किया गया। जबकि खंड विकास कार्यालय कैराना (ब्लाॅक) में चार दर्जन (48) जनसेवा केन्द्र स्वीकृत हुए थे। सभी को शासन-प्रशासन की शर्तो और नियमों के आधार पर जनसेवा केन्द्रों का संचालन करना था। लेकिन पिछले कई माह से जनसेवा केन्द्रों के नाम पर मानकों की धज्जिया उडाई जा रही है।
यहां यह भी बता दे कि कस्बे के जनसेवा केन्द्रों के साथ गांव देहात के जनसेवा केन्द्रों का भी कस्बे में ही संचालन खुलेआम चल रहा है। नगरीय क्षेत्रो के आय, जाति, सामान्य व मूल निवास सहित अन्य सरकारी योजनाओं पेंशन आदि से सम्बन्धित प्रमाण पत्रों को गांव से संचालित जनसेवा केन्द्रों से आवेदन कर जारी किया जा रहा है। जो सरासर जनसेवा केन्द्रों की मानकों के विरूद्ध है। इस सम्बन्ध में आवेदन कर्ताओं के द्वारा कई बार जनसेवा केन्द्रों की धांधली और अवैध वसूली की भी शिकायत की गई। लेकिन इस सम्बन्ध में सोसायटी और प्रशासन के द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नही की गई। जिसे लेकर जनसेवा केन्द्रों की धांधली में बढोत्तरी हुई हैं।
अवैध उगाही का अड्डा बन रहे जनसुविधा केंद्र
जन सुविधा केंद्र (जन सेवा केंद्र) आजकल अवैध उगाही के अड्डे बने हुए हैं। आम जनमानस का कहना है कि जन सेवा केंद्र के संचालक विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्रों के साथ-साथ सरकारी योजनाओं से लाभांवित होने हेतु होने वाले आवेदन पर नियत शुल्क के अतिरिक्त मुंह मांगी मोटी धनराशि अवैध रूप से वसूल की जाती है जिससे गरीबो की जेबो को ढीली कर उनका आर्थिक शोषण खुलेआम किया जा रहा है।