शिया मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाया गया हजरत अली का जन्मदिन

 





    

कैराना। शिया मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा हजरत अली का जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मनाने के साथ ही उनके बताए रास्ते पर चलने की अपील की गई।

       बता दें कि हजरत अली शिया मुस्लिम समुदाय के पहले इमाम थे। हजरत अली का जन्म इल्लामी कैलेंडर के अनुसार रज्जब माह की 13 तारीख 601 ई में हुआ था। हजरत अली के बचपन का नाम इब्ने अबी तालिब था। हजरत अली हजरत मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद थे। शिया मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं और उनके द्वारा दिए गए संदेशों को याद कर उस रास्ते पर चलने की कसमें खाते हैं।

      सोमवार की रात कस्बे के मोहल्ला अंसारियान स्थित इमामबारगाह कला में हजरत अली के जन्मदिन पर एक  महफिल का आयोजन किया गया। जिसमें मौलाना जफर अब्बास द्वारा हजरत अली के जन्मदिन पर केक काटने के साथ ही एक महफिल का आगाज़ हुआ। जिसमें मौलाना जफर अब्बास ने हजरत अली के जीवन पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए बताया कि हजरत अली का जन्म मक्का में हुआ था। वह शिया मुस्लिम समुदाय के पहले इमाम थे। हजरत अली ने लोगों को दुश्मनों से भी प्रेम करने की सलाह दी थी। उनका मनाना था जो आज तुम्हारा दुश्मन है वह एक न एक दिन दोस्त जरूर बन जाएगा इसलिए किसी से भी भेदभाव और मनमुटाव नहीं रखना चाहिए। उनका मनाना था कि इस्लाम इंसानियत का धर्म है।

      मौलाना ने हजरत अली के पांच खास संदेश  सुनाते हुए कहा उनका मनाना था कि व्यक्ति को हमेशा सोच समझकर बोलना चाहिए था। बोलने से पहले शब्द आपके गुलाम होते हैं लेकिन बोलने के बाद आप लफ्जों के गुलाम बन जाते हैं। हजरत अली भीख मांगने के सख्त खिलाफ थे। उनका मनाना था कि भीख मांगने से बदतर कोई और चीज नहीं होती।

      मौलाना ने आगे बताया कि अपनी सोच को पानी के बूंदो से भी ज्यादा साफ रखो। क्योंकि जिस तरह बूंदो से दरिया बनता है उसी तरह सोच से ईमान बनता है।

   मौलाना जफर अब्बास ने अंत में कहा कि हजरत अली ने किसी की चुगली के भी खिलाफ थे। उनका मनाना था कि चुगली करना उसका काम होता है, जो अपने आपको बेहतर बनाने में असमर्थ होता है। हमेशा समझौता करना सीखना चाहिए , क्योंकि थोड़ा सा झुक जाना किसी रिश्ते का हमेशा के लिए टूट जाने से बेहतर है।

      महफिल को मास्टर वसी हैदर साकी, हुसैन हैदर, बाबर हुसैन, गुलजार, रवीश व शारिब हुसैनी आदि ने  संबोधित किया। इस अवसर पर शबी हैदर, मेहरबान अली, शाहनवाज हुसैन, डॉक्टर फरहत हुसैन, मोहम्मद अली, जाफर, बुद्धन हुसैन, सरदार अली, नासिर हुसैन, अख्तर हुसैन, जावेद रजा जैदी व मास्टर सदाकत हुसैन आदि मौजूद रहे।