मुझे श्याम तेरा सहारा ना होता तो दुनिया मे मेरा गुजारा ना होताःब्रह्म स्वरूपानंद

- श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन महाराज ने किए प्रवचन
- गांव व दूर-दराज से आश्रम में पहुचे हजारों श्रद्धालुओं ने की कथा श्रवण
- भागवत कथा व सुंदर भजनों में झूम उठे श्रद्धालुगण

कैराना। मानव चेतना केंद्र आश्रम में चल रही साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद महाराज ने कथा प्रवचन करते हुवे बताया कि जैसे घर मे गंदगी हो जाती है उसकी सफाई करके उसे साफ किया जाता है। वैसे ही भगवान की भक्ति करने से मन की सफाई हो जाती है। जो मनुष्य भागवत कथा को श्रवण करते है ओर उसका मनन करते है उसका कल्याण हो जाता है। जिसका कोई गुरु नही उसका जीवन सफल नही। 
      रविवार को कैराना क्षेत्र के ऊंचागांव में स्थित मानव चेतना केंद्र आश्रम में चल रही साप्ताहिक श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन स्वामी विशुद्धानंद महाराज के परम् शिष्य स्वामी ब्रह्म स्वरूपानन्द महाराज ने बताया कि जिसकी जैसी सोच होती है उसे वैसा ही दिखाई देता है। संसार एक ऐसा बिल है जिससे निकलने का कोई दूसरा रास्ता नही है। भगवान ने हमे मानव की जूनी दी है, हमे भगवान का भजन करना चाहिए। जो मनुष्य सच्चे मन से परमात्मा का भजन करता है, वो सदा बढ़ता है। उसका कल्याण हो जाता है। जो मनुष्य जैसे भगवान को भजते है, उनको ऐसा ही फल मिल जाता है। मनुष्य शरीर ऐसा है जैसे किसान की फसल ऐसे ही अदलता-बदलता रहता है। शरीर मे केवल आत्मा है जो न तो मरती है ना जन्मती है। सत्संग सुनने से मनुष्य की दृष्टि बदल जाती है।
     महाराज ने बताया कि जिसने भगवान की भक्ति मिलती है, सन्तों की सेवा में मन लग जाता है। उसका यह अंतिम जीवन होता है। ऐसे मनुष्य का दोबारा जन्म नही होता व मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। संत के दर्शन दिखाई देना समझ लीजिए भगवान दिखाई देने लगे है। 
      उन्होंने बताया कि हमारा शरीर भगवान ने बनाया है, भगवान हमारे शरीर के अंदर ही है। लेकिन हम भगवान को अपने अंदर नही बाहर देखते है। जो हमे कभी दिखाई नही देते। मनुष्य शरीर हमे मोक्ष के लिए मिला है। लेकिन हम काम, क्रोध, मोह, लोभ व अहंकार में घिरे हुवे है। जिसके कारण हमारी मुक्ति नही होती। मानव जीवन ऐसा है जिससे हम भगवान को प्राप्त कर सकते है। मानव जीवन का कोई पता नही है ये कब समाप्त हो जाये, इस लिए हमे साधु संतों से चरणों मे बैठकर भगवान का भजन करना चाहिए। इससे हमारी मुक्ति हो जाएगी। बुढ़ापे में कभी भक्ति नही हो सकती। 
       महाराज  ने बताया प्रलाद के पिता कहते है की तुम्हारे भगवान कहा है, तो प्रलाद अपने पिता से कहते है भगवान सर्वव्यापक है। जो हर जगह है। अभिमान को केवल भगवान ही मार सकते है। महाराज ने बताया कि जो मनुष्य सत्संग सुनता ओर गुनता है वह कभी भगवान से कुछ नही मांगता। शक्ति, भक्ति, मोक्ष कभी मोल नही मिलती। इसको प्राप्त करने के लिए स्वम के मन को भगवान में लगाना पड़ेगा। जैसे कपड़े को साफ करने के लिए उसे बार-बार रगड़ना पड़ता है, वैसे ही मन को साफ करने के लिए बार-बार सत्संग सुनना पड़ेगा ओर उसका मनन करना पड़ेगा। उसके बाद ही मन मंदिर में भगवान का वास हो जाएगा। 
        वही, सुंदर भजनों से साथ गांव व दूर-दराज से आश्रम में पहुचे हजारों श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण की।