राजतिलक की जगह वनवासी हुए श्री राम
कैराना। कस्बे के श्रीगौऊशाला भवन में चल रहे श्री रामलीला महोत्सव में नाट्य मंचन के दौरान राजतिलक की जगह श्री राम वनवास की लीला दिखाई गई l
       मंगलवार देर रात श्रीगौऊशाला भवन में चल रहे श्री रामलीला महोत्सव के नोवे दिन का शुभारंभ समाजसेवी प्रमोद गोयल और विजय नारायण तायल के द्वारा भगवान गणपति महाराज के सामने दीप प्रज्वलित कर किया गया। 
       नाट्य मंचन के दौरान दिखाया गया कि महाराजा दशरथ अपनी प्रजा और सेना के साथ अपने महल में बैठे हैं तभी उनके मन में विचार आता है कि अब उनका बुढ़ापे का शरीर हो गया है। इसलिए अब अयोध्या का अगला राजा श्री रामचंद्र जी को नियुक्त किया जाए और गुरू वशिष्ठ से आज्ञा लेते हैं  जिस पर महाराजा दशरथ मंत्री सुमन को आदेश देते हैं कि अयोध्या में इस बात की मुनादी कराई जाए कि अयोध्या के राजा रामचंद्र जी को राजतिलक होगा और पूरे अयोध्या में खुशियां मनाई जाएगी। सभी अपने घरों में साफ-सफाई कर सुंदरता के साथ अयोध्या नगरी को सजाएं जिस पर अयोध्या में श्री रामचंद्र जी की राजतिलक की सूचना मिलते ही खुशियों की लहर दौड़ जाती है। और मुनादी कराई जाती है।
       वही, जब यह खबर केकई की दासी मंथरा को पता लगती है तो वह महारानी केकई के महल में जाती है और केकई को सारा वृतांत बताती है जिस पर केकई बेहद प्रसन्न होकर मंथरा को कहती है कि यदि राम का राजतिलक होगा तो बहुत ही खुशी की बात है तब मंथरा बताती है कि यदि राम को राज तिलक हो गया तो तुम्हारा पुत्र भरत दास की तरह जीवन यापन करना पड़ेगा तब केकई मंथरा से इसके उपाय पूछती है ऐसा कोई उपाय बताओ जिससे राम को राजतिलक ना हो  जिस पर मंथरा याद दिलाती हैं। कि एक बार युद्ध के समय आपने महाराजा की मदद की थी तब उन्होंने आपसे वचन दिया था कि आपको जीवन में यदि आप मुझसे दो वरदान मांगोगे वह वरदान पूरा करूंगा आज वह समय आ गया है आप महाराजा दशरथ से अपने दोनों वरदान मांग लो जिसमें एक में राम को 14 वर्ष का वनवास और दूसरे में भरत को राज तिलक इस पर केकई अपने महल को कोप भवन बना देती है जब महाराजा दशरथ केकई के पास पहुंचते हैं तो वह सारा वृत्तांत बताती है और महाराजा दशरथ से अपनी दोनों वरदान मांगती है। जिस पर तड़प तड़प कर महाराजा दशरथ केकई से कई बार प्रार्थना करते हैं। परंतु वह उन्हें याद दिलाती है कि आप सूर्यवंशी हैं अपनी मर्यादा का ध्यान रखते हुए अपने द्वारा दिए गए वचन को निभाना आपका कर्तव्य है जब यह जानकारी भगवान राम को मिलती है तो वह बेहद ही प्रश्नता पूर्वक माता केकई और महाराजा दशरथ का वचन सुनकर 14 वर्ष का वनवास स्वीकार कर लेते हैं। इसी दौरान सीता माता भी वन में जाने की जिद करती है जब राम और सीता जी कौशल्या से आशीर्वाद लेने जाते हैं तो वहां कौशल्य जी बेहद परेशान होती है तभी वहां पर लक्ष्मण जी भी पहुंच जाते हैं जिस पर दोनों भगवान राम के साथ वन जाने के लिए प्रार्थना करते हैं।              
        भगवान राम उन्हे समझाते है कि वन में बेहद कठिनाई है परिश्रम होता है। परंतु वह अपनी जिद पर अड़े रहते हैं इस पर महाराजा दशरथ राम लक्ष्मण सीता को वन जाने की आज्ञा देते हैं साथ में अपने मंत्री सुमन और सेना को भी उनका ध्यान रखने के लिए साथ में भेजते हैं।
       नाट्य मंचन के दौरान श्री राम का अभिनय रोहित, लक्ष्मण का तुषार वर्मा, सीता का सागर मित्तल, दशरथ का रामअवतार मित्तल, केकई का सागर, मंत्रा का सनी, कौशल्या डाक्टर सुशील, सुमंत का अरविंद मित्तल, मुनादी का विरेंद्र वशिष्ठ, सोनू, माधव मित्तल व राकेश ने कियाl इस दौरान श्री रामलीला कमेटी कैराना के अध्यक्ष जयपाल सिंह कश्यप एडवोकेट, सभासद शगुन मित्तल एडवोकेट, डाक्टर राम कुमार गुप्ता, मनोज मित्तल, विजय नारायण, राजेश नामदेव, अतुल गर्ग, सुशील सिंगल, आलोक गर्ग, मोहन लाल आर्य, पंकज सिंघल, संजू वर्मा, अभिषेक गोयल, आशु शिवम, सोनू कश्यप व सचिन शर्मा आदि मौजूद रहे l