अब्बास अलमदार का रोब और दबदबे से यजीदी घबराते हैं

 - अल्हाज अली हैदर जैदी के अजखाने पर और नवाब रज़ा अली खान के अज़खाने पर हुआ मजलिस का आयोजन 
कैराना। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अल्हाज अली हैदर ज़ैदी और नवाब रज़ा अली खान के अजा खाने पर मजलिस का आयोजन किया गया। 
        अल्हाज अली हैदर जैदी के अजा खाने पर  यावर जैदी के द्वारा सोज ख्वानी की गई। सलाम जाफर जैदी के द्वारा पढ़ा गया। मर्सिया ख्वानी अली हैदर जैदी के द्वारा पढ़ी गयी। पेश ख्वानी वसी हैदर साकी और कोसर जैदी के द्वारा की गई। मजलिस को मौलाना हसन खान के द्वारा पढ़ी गई। उन के द्वारा मौला अब्बास अलमदार के फजाएल पढ़े गए।
      मौलाना ने बताया मौला अब्बास की शुजा अत पर मौला अली भी नाज़ किया करते थे और जब आप दरिया ए फुरात पर पानी लेने गए तो 30 हज़ार के लश्कर में हलचल मचा दी थी, लेकिन इमाम ए हुसैन से वचनबद्ध थे कि जंग नहीं करेंगे तो आपके द्वारा दरिया ए फुरात से पानी लिया गया। और चलने लगे तब जलिमो ने मोका पाकर हजरत अब्बास ए अलमदार के हाथ काटे गए। लेकिन आपने अपना वचन निभाया।
      मौलाना हसन खान के द्वारा मौला अब्बास के मासायब भी पढ़े गए बाद में गुलजार जैदी के द्वारा नोहा पढ़ा गया और कुर्रत मेहदी के द्वारा जियारत पढ़ाई गई। 
    उधर, रजा अली खान के अज़खाने पर मुदस्सिर हुसैन के द्वारा मर्सिया पढ़ा गया और मोहर्रम की 8 तारीख मौला अब्बास से मंसूब होने के कारण मौला अब्बास के फजायल और मसायब पढ़े गए मजलिस में कुर्रत मेहदी के द्वारा नोहख्वानी की गई।
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