देवबंद (सहारनपुर)। सर ज़मीन ए देवबंद में मुशायरे व कवि सम्मेलन का आयोजन मशहूर शख्सियत रहे जनाब स्व. चौधरी दिलशाद उर्फ दिला की याद में एक आल इंडिया शानदार मुशायरा व कवि सम्मेलन आयोजित किया गया।
साथ ही स्व. चौधरी दिलशाद उर्फ दिला के पुत्र चौधरी दानिश को फ़खरे देवबंद एडवार्ड से शील्ड व शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कस्बा बेहट से आये मशहूर शख्सियत जनाब अहसान हनफ़ी ने की। मुशायरे व कवि सम्मेलन की शमा रोशन आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य जनाब योगेश कुमार दहिया ने की वहीं मुशायरे व कवि सम्मेलन उद्घाटन देवबंद के मशहूर समाजसेवी विधानसभा प्रभारी हैदर अली ने किया।
कार्यक्रम में हाजी सय्यद इस्माईल आंध्रप्रदेश, हाजी इशरत बिलाल व डाक्टर सोनिया सोनम अक्स ने बतौर मेहमाने खसुसी शिरकत की। मुशायरे व कवि सम्मेलन का सफ़ल संचालन सलीम दरियापुरी ने किया।
पेश हैं मुशायरे व कवि सम्मेलन में पढ़ें गये शायरों व कविताएं ...
👉 देवबंद के उस्ताद शायर जनाब जावेद आसी ने अपना शेर कुछ यूं पढ़ा,
वो खिदमतों से आज ज़िंदा ए जावेद,
यह किसने कहा है के मर गये दिलशाद।
👉 कवयित्री डाक्टर सोनिया सोनम ने पढ़ा,
सुना है इश्क कामिल हो गया है,
बदन जलने लगा है चांदनी से,
👉 सलीम जावेद ने अपना शेर कुछ यूं पढ़ा,
अहले इश्क से जब तक राब्ता नहीं होता,
ज़िन्दगी का तय हम से रास्ता नहीं होता।
👉 नवाज़िश नज़र न कहा,
मैं आ गया हूं तेरे दर पे दुश्मनी केसी,
मैं रंजिशों के ज़माने भुला के आया हूं।
👉 युवा शायर नूर देवबंदी ने अपने शेर में यूं पढ़ा,
मेरे दुख दर्द को पलकों पे सजाने वाले,
जब भी मंसूब हुआ नाम तेरा मेरे साथ,मुझ से रहते हैं ख़फ़ा सारे ज़माने वाले।
👉 कैराना के प्रसिद्ध शायर डाक्टर सलीम फ़ारुकी ने उर्दू के हवाले से अपना शेर कुछ यूं पढ़ा,
"ख़ार जो बिछाती है रास्ते में उर्दू के
हो सके अगर तुम से वो ज़बां बदल दीजिए"।
👉 वसीम जहांगीराबादी ने अपने चार मिसरे यु पढे,
किसी को आबला पाई ने मार डाला है
किसी को जलवा नुमाई ने मार डाला है
वो लेके आये हैं अपना जो अमन का परचम
जब एक भाई ने भाई को मार डाला है।
👉 नोएडा से पधारे कवि फ़ोजी शेलेंदर कुमार ने कहा ,
विभीषण अपनी मिट्टी से अगर धोखा नहीं करता,
मेरा दावा है रावण राम से हारा नहीं होता।
👉 नोएडा से आई कवयित्री सविता सिंह "शमां"
पढ़ा,
मौहबबत की कलियां बहा लाई हूं,
दर्द ए दिल की दवा लाई हूं
मुझे सुन्ना ज़रा गो़र से
उक्त के अलावा मुशायरे व कवि सम्मेलन में मशहूर शायरों व कवियों ने अपनी शायरी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया और अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
अंत में मुशायरे व कवि सम्मेलन के कन्वीनर न ईम अख्तर देवबंदी व सह कन्वीनर नूर देवबंदी ने आने वाले शायरों व कवियों तथा श्रोताओं का तय दिल से शुक्रिया अदा किया। मुशायरा व कवि सम्मेलन रात्रि 10 बजे से सुबह 4 बजे तक बुलंदियों को छूता हुआ चला।
वहीं, अंत में मुशायरे में आये शायरों व कवियों को सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। जिसमें कैराना की नुमाइंदगी कर रहे डाक्टर सलीम अख्तर फ़ारुकी को विशेष अतिथि के रुप में सम्मान पत्र दानिश चौधरी ने दिया और उन्हें मुबारक बाद दी।
.........................