गांधीजी की प्रासंगिकता समय व काल से परे सदैव विद्यमान रहेगी - डॉ निर्भय सिंह



👉 21 वीं सदी में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन
कैराना (शामली)। विजय सिंह पथिक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कैराना में राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में 21वीं सदी में गांधी की प्रासंगिकता विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का अयोजन किया गया जिसमें छात्र एवं छात्राओं द्वारा उत्साहपूर्वक प्रतिभागिता की गई।       
  सोमवार को कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ उत्तम कुमार विभाग प्रभारी राजनीति विज्ञान एवं डॉ डॉली असिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा किया गया।  कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वी.वी.डिग्री कॉलेज शामली के राजनीति विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर तथा गांधी चिंतन के विशेषज्ञ निर्भय कुमार सिंह रहे।
     कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी तस्वीर पर दीप प्रज्वलित एवम माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राजेश कुमार अग्रवाल ने छात्र एवम को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी मात्र एक व्यक्तिव नहीं अपितु एक विचार है जो विश्व का अनंतकाल तक मार्गदर्शन करता रहेगा। युवाओं को उनके व्यक्तित्व से प्रेरणा ग्रहण कर राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना चाहिए।
       कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ निर्भय कर सिंह ने अपने व्याख्यान में छात्र एवं छात्राओं को बताया कि आज जबकि दुनिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा या तो युद्ध लड़ रहा है या तो युद्ध लड़ने के दरवाजे तक खड़ा है ऐसी स्थिति में गांधी जी की प्रासंगिकता में और वृद्धि हो जाती है l गांधी जी के विचार जितना महत्वपूर्ण एक व्यक्ति के लिए है उतना ही महत्वपूर्ण समाज और राष्ट्र के लिए भी है। गांधी के चिंतन में जिन मूल्यों से एक व्यक्ति का निर्माण होता है उन्ही मूल्यों की स्थापना समाज में होती है और उसका स्वरूप राष्ट्र में हमें दिखाया जाता है l  गांधी के चिंतन में व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के हितों में कोई अंतर्विरोध नहीं है। गांधी के चिंतन से हमें यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को सदैव अपने आप को अधूरा मानना चाहिए और सदैव सीखने  के लिए तत्पर रहना चाहिए। 
     डॉ निर्भय सिंह ने यह भी कहा कि गांधी का चिंतन न सिर्फ व्यवस्था के परिवर्तन की बात नहीं करता बल्कि सभ्यता के परिवर्तन की बात करता है l गांधी जी के साधन और साध्य की पवित्रता पर विचारों को भी बच्चों को बताया गया। गांधी के कुटीर उद्योग और आत्मनिर्भरता की अवधारणा आज भी प्रासंगिक है और वर्तमान सरकार इसके प्रति अपनी सजगता व्यक्त करती है। कोरोना काल में ग्रामीण जीवन की प्रासंगिकता को हम आसानी से महसूस कर सकते हैं। निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि गांधी जी की प्रासंगिकता समय व काल से परे होकर सदा विद्यमान रहेगी l जब तक विश्व में हिंसा, घृणा, द्वेष, असमानता , अन्याय, नफ़रत रहेंगे तथा युद्ध होते रहेंगे तब तक गांधी जी पथ प्रदर्शक बनकर विश्व का मार्गदर्शन करते रहेंगे और उनकी प्रासंगिकता 21वीं सदी में ही नहीं बल्कि सदियों तक बनी रहेगी।
      डॉ निर्भय सिंह ने गांधी दर्शन पर आधारित छात्र एवं छात्राओं के प्रश्नों का जवाब दिया तथा उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ उत्तम कुमार द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया। 
     कार्यक्रम को सफल बनाने में राजनीति विज्ञान के छात्र एवं छात्राओं मुकीम, सुहैल, अजरा, मुस्कुरा,सागर तथा महाविद्यालय कर्मचारी श्री पप्पन जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
_____________________________
Comments