यमुना नदी में चार भाई—बहन डूबे, एक लापता
👉 तैराक ग्रामीणों ने दो बहन व एक भाई को निकाला बाहर, निजी हॉस्पिटल में कराया भर्ती

कैराना (शामली)। तहसील क्षेत्र के गांव नंगलाराई में यमुना नदी को पैदल पार करने के दौरान चार भाई—बहन डूब गए। शोर मचाने पर आसपास खेतों पर कार्य कर रहे तैराक ग्रामीणों ने दो बहन व एक भाई को बाहर निकाल लिया, जिन्हें निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहीं, एक 14 वर्षीय लड़की यमुना नदी में लापता है, जिसकी ग्रामीण स्वयं तलाश में जुटे हैं।
   गांव नंगलाराई निवासी हाशिम ने गांव के ही निकट यमुना नदी के पार प्लेज लगा रखी है। रविवार शाम करीब चार बजे उसका पुत्र फारूक (22), जावेद (20), बेटी परवीन (18), मायला (16) व सादमा (14) खेत पर जा रहे थे। बताया है कि यमुना नदी को फारूक ने पैदल पार कर दिया, जबकि बाकी चार भाई—बहन डूब गए। उन्हें डूबता देख फारूक ने शोर मचा दिया, जिस पर आसपास के खेतों पर कार्य कर रहे ग्रामीण दौड़ पड़े, जिन्होंने यमुना नदी में छलांग लगा दी और जावेद, परवीन व मायला को बाहर निकाल लिया गया, जिन्हें उपचार के लिए बाईपास के निकट स्थित एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहीं, सादमा का देर शाम तक भी कोई सुराग नहीं लग सका। हादसे से परिजनों में कोहराम मचा हुआ है।
———       ( फाइल फोटो भारी भरकम मशीनों से होता रेत खनन)
👉 खनन के कुंड बन रहे जानलेवा
नंगलाराई में वैध बालू खनन का पट्टा आवंटित था, जिसकी आड़ में बड़े पैमाने पर नियम विरूद्ध खनन की पुष्टि भी हुई थी और जुर्माने की कार्यवाही की गई थी। किसानों ने यह भी आरोप लगाया था कि पट्टे की आड़ में हरियाणा के किसानों की भूमि भी खोद दी गई। इसी के चलते हरियाणा के प्रशासन की ओर से भी यहां छापेमारी की गई थी। इसके अलावा एनजीटी की गठित विशेष टीम भी खनन प्वाइंट पर जांच करने पहुंची थी। खनन के कारण यमुना नदी में गहरे कुंड हो गए, जो हादसों का सबब बन रहे हैं। इससे पहले भी इसी क्षेत्र में हादसे हो चुके हैं। लेकिन, कभी हादसे के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया।
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👉 ढ़ाई घंटे बाद पहुंचे चौकी प्रभारी
पंजीठ पुलिस चौकी क्षेत्र में ही नंगलाराई आता है। हादसा लगभग चार बजे हो गया, लेकिन साढ़े छह बजे तक भी चौकी प्रभारी मौके पर नहीं पहुंच सके और न ही तब तक वहां गोताखोरों को भेजा गया। जबकि चौकी या फिर कोतवाली की ज्यादा दूरी भी नहीं है। इसी के चलते ग्रामीणों में आक्रोश भी देखने को मिला। तैराक ग्रामीण खुद ही सर्च अभियान में जुटे रहे। बाद में चौकी प्रभारी अपनी निजी गाड़ी से वहां पहुंचे। वहीं, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने भी मौके पर पहुंचकर हादसे के संबंध में जानकारी जुटाई।
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👉 गोताखोर न संसाधन, दम तोड़ देता है अभियान
तहसील स्तर पर किसी भी सरकारी गोताखोर की तैनाती नहीं हैं। कोई भी हादसा हो जाए, तो पास के गांव से तैराक लोगों को बुलाया जाता है। लेकिन, जब तक काफी देर हो चुकी होती है। उनके पास भी कोई संसाधन नहीं है। कोई भी डूब जाता है, तो सर्च अभियान दम तोड़ता नजर आता है।
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